यह हैं पाकिस्तान के रहने वाले गुलजार हुसैन। जो बम धमाकों में एक हाथ और दोनों पैर गंवा चुके हैं लेकिन जीवन की रफ्तार को थमने नहीं दिया। मुश्किल हालात में खुद को संभाला और अब बच्चों की जिंदगी को गुलजार बना रहे हैं। गुलजार पेशे से एक टीचर हैं। पाकिस्तान के पाराचिनार में एक प्राथमिक स्कूल में पढ़ाते हैं। ड्यूटी से समय निकालकर ये आदिवासी बच्चों को मुफ्त शिक्षा देने उनके इलाके में जाते हैं।
हाथ-पैर गंवाए, हौसला नहीं
1999 में पाकिस्तान के पाराचिनार स्थित स्कूल में बम धमाका हुआ है, इसमें गुलजार हुसैन ने एक हाथ और दो पैर गंवा दिए। उस दौरान गुलजार स्कूल में पढ़ाई करते थे। वह अपर कुर्रम ट्राइबल डिस्ट्रिक्ट के लुकमंखेल में रहते थे। इस घटना के बाद गुलजार ने अपने इरादे और मजूबत किए।
गधे पर बैठकर स्कूल जाते थे
घटना के बाद गुलजार ने अपनी पढ़ाई पूरी की। वह गधे पर बैठकर स्कूल जाते थे। गुलजार ने इस्लामिक स्टडीज में मास्टर्स डिग्री हासिल की। इसके बाद इसके बाद टीचिंग की ट्रेनिंग भी की और प्राइमरी टीचर्स सर्टिफिकेट हासिल किया। तालीम पूरी होने के बाद पाराचिनार के एक प्राथमिक स्कूल में पढ़ाना शुरू किया।
आदिवासी बच्चों की जिंदगी कर रहे गुलजार
प्राथमिक स्कूल में पढ़ाने के साथ गुलजार समय निकालकर आदिवासी इलाके में जाते हैं और गरीब तबके के बच्चों को पढ़ाते हैं। स्थानीय लोग इनके काम और हौसले की तारीफ करते हुए इन्हें रियल हीरो कहते हैं।
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