कोविड-19 की ट्रैकिंग के दौरान इंग्लैंड के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस के ऐसे नए रूप (स्ट्रेन) को ढूंढा है जो महामारी फैलाने वाले पुराने वायरस पर भारी है। इसका नाम ‘D614G’ रखा गया है। शोधकर्ताओं का कहना है इस वायरस का जीनोम सीक्वेंस का विश्लेषण किया गया। रिसर्च में सामने आया कि कि इसमें वर्तमान में संक्रमण फैला रहे कोरोना से ज्यादा संक्रमण फैलाने की क्षमता है लेकिन इससे संक्रमण के बाद अधिक गंभीर स्थिति नहीं बनेगी।
वायरस के स्पाइक प्रोटीन में दिखा बदलाव
शोध में शामिल शेफिल्ड यूनिवसिर्टी के मुताबिक, इसमें इंसानों की कोशिकाओं को संक्रमित करने की क्षमता अधिक है, पूरी दुनिया में पुराने वायरस की जगह ले रहा है। सेल जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, इसके स्पाइक प्रोटीन में थोड़ा बदलाव भी देखा गया है। इसका इस्तेमाल करके की वायरस इंसानी कोशिश में एंट्री करता है और संक्रमण फैलाता है।
महामारी की शुरुआत में कोरोना का नया स्ट्रेन विकसित हुआ
कोरोना के नए स्ट्रेन पर रिसर्च मेक्सिको की लॉस अल्मॉस नेशनल लैब, नार्थ कैरोलिना की ड्यूक यूनिवर्सिटी और इंग्लैंड की शेफिल्ड यूनिवर्सिटी ने मिलकर किया है। शोधकर्ता थुसान डिसिल्वा के मुताबिक, हमने महामारी की शुरुआत में ही कोरोना की जीनोम सीक्वेंसिंग की। इस दौरान देखा गया किकोरोना ने म्यूटेट होकर अपना नया स्ट्रेन तैयार किया है,जो तेजी से दुनियाभर में फैल रहा है।
नए स्ट्रेन के 10 हजार के अधिक सीक्वेंस मौजूद
शोधकर्ताओं के मुताबिक, सांस की समस्या से जूझ रहे कोरोना मरीजों में नए स्ट्रेन का वायरल लोड अधिक देखा गया। इससे ये साफ है कि यह ज्यादा लोगों को संक्रमित कर सकता है। रिसर्च के दौरान इसके 10 हजार से अधिक सीक्वेंस मिले हैं।
नए स्ट्रेन पर नजर रखी जा रही है
मेक्सिको की लॉस अल्मॉस नेशनल लैब के शोधकर्ता डॉ. विल फिशन के मुताबिक, यह काफी अहम जानकारी है। रिसर्च के दौरान काफी सावधानी बरतनी पड़ी। शोधकर्ताओं की टीम वायरस के सम्पर्क में कुछ समय तक रही थी। कोरोना के स्ट्रेन किस हद तक म्यूटेट होते हैं और नए स्ट्रेनपर नजर रखी जा रही है।
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