कोरोना से रिकवर होने वाला हर 10 में से एक मरीज इसके साइडइफेक्ट से जूझ रहा है। इलाज के बाद मरीजों में थकान, गंध-स्वाद का पता न चल पाना और एकाग्रता की कमी जैसे लक्षण दिख रहे हैं। यह दावा साउथ कोरिया में हुई स्टडी में किया गया है।
965 मरीजों पर हुई स्टडी
कोरोना से रिकवर होने वाले 965 मरीजों पर ऑनलाइन स्टडी की गई। कोरिया के सेंटर्स डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन के अधिकारी क्वॉन जून-वूक के मुताबिक, 91.1 फीसदी मरीजों में साइडइफेक्ट दिख रहा है।
26.2 फीसदी मरीज रीडिंग में मन नहीं लगा पा रहे
रिसर्च के मुताबिक, 26.2 फीसदी मरीज रीडिंग पर फोकस नहीं कर पा रहे हैं। उनमें एकाग्रता में कमी महसूस हो रही है। इसके अलावा मरीज गंध या स्वाद न पहचान पाने और दिमाग पर पड़ रहे नकारात्मक असर से परेशान हैं।
क्यूंगपूक नेशनल यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर किन शिन-वू ने कोरोना से रिकवर हुए 5762 मरीजों में से 16 फीसदी कोरोना सर्वाइवर से ऑनलाइन सर्वे किया, जिसमें ये बातें सामने आईं।
16 संस्थानों के साथ मिलकर एक और स्टडी हो रही
प्रो. क्वॉन के मुताबिक, रिसर्च पूरी तरह ऑनलाइन की गई थी। जल्द ही इस पर और एनलिसिस करने के बाद रिसर्च को प्रकाशित करेंगे। साउथ कोरिया 16 संस्थानों के साथ मिलकर एक और स्टडी कर रहा है जिसमें मरीजों में दिखने वाले साइड इफेक्ट के असर को समझने की कोशिश की जा रही है। इस रिसर्च में मरीजों का सीटी स्कैन किया जा रहा है।
दक्षिण कोरिया में सोमवार को 38 नए संक्रमित मरीजों की पुष्टि हुई। देश में अब तक कुल 23,699 पॉजिटिव मामले पाए जा चुके हैं। कोरोना महामारी की वजह से वहां अब तक 407 लोगों की मौत हो चुकी है।
गुजरात के कुछ इलाकों में कांगो फीवर के मामले सामने आए हैं। इसका हवाला देते हुए महाराष्ट्र के पालघर में प्रशासन ने अलर्ट जारी किया है। पशुपालन विभाग के डिप्टी कमिश्नर डॉ. प्रशांत कांबले ने कहा है कि गुजरात के कुछ इलाकों में यह बुखार पाया गया है। इसके महाराष्ट्र के सीमावर्ती इलाकों में फैलने की आशंका है। पालघर गुजरात के वलसाड जिले से लगा हुआ है। जानिए कांगो फीवर कब, क्यों और कैसे फैलता है...
Q-1. क्या है कांगो फीवर और कब दिखते हैं इसके लक्षण?
यह वायरल बीमारी खास तरह के कीट (किलनी) के जरिए एक जानवर से दूसरे जानवर में फैलती है।
संक्रमित जानवरों के खून के संपर्क में आने या ऐसे जानवरों का मांस खाने पर इंसानों में यह बीमारी फैलती है।
सही समय पर बीमारी का पता लगाकर इलाज नहीं किया गया तो 30% मरीजों की मौत हो जाती है।
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, इसके लक्षण दिखने में 6 से 13 दिन का समय लगता है।
Q-2.कहां से आया कांगो फीवर?
इस बीमारी का पहला मामला 1944 में यूरोप के क्रीमिया में आया था। लेकिन 1956 में अफ्रीका के कांगो में इसी वायरस के मामले सामने आए, इसलिए इस बीमारी का पूरा नाम क्रीमियन-कांगो फीवर रखा गया। हालांकि बोलचाल की भाषा में इसे कांगो फीवर ही कहा जाता है। अब इसका वायरस दूसरे देशों में भी पहुंच रहा है।
Q-3.कौन से लक्षण दिखने पर अलर्ट हो जाएं?
इससे संक्रमित होने वाले मरीजों में बुखार के साथ मांसपेशियों में दर्द होना, सिरदर्द और चक्कर आना जैसे लक्षण दिखते हैं।
कुछ मरीजों को सूर्य की रोशनी से दिक्कत होती है, आंखों में सूजन रहती है।
संक्रमण के 2 से 4 दिन बाद नींद न आना, डिप्रेशन और पेट में दर्द के लक्षण भी सामने आते हैं।
मुंह, गर्दन और स्किन पर चकत्ते आने के साथ हार्ट रेट भी बढ़ सकता है।
Q-4.क्या है इसका इलाज?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के मुताबिक, लक्षण दिखने पर मरीजों को एंटीवायरल ड्रग दी जाती है। इसका इलाज ओरल और इंट्रावेनस दोनों तरह से किया जाता है। इसके 30 फीसदी मरीजों की मौत बीमारी के दूसरे हफ्ते में होती है। मरीज अगर रिकवर हो रहा है तो इसका असर 9वें-10वें दिन दिख जाता है।
इसकी अब तक कोई वैक्सीन नहीं तैयार की जा सकी है। वैक्सीन न होने के कारण बचाव ही इलाज है।
कोरोना के बढ़ते मामलों के बीच इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने एक और वायरस का खतरा जताया है। ICMR के मुताबिक, चीन और वियतनाम में पाया जाने वाला कैट क्यू वायरस भारत में भी संक्रमण फैला सकता है। देश में 883 लोगों के सीरम सैम्पल की जांच की गई, इसमें दो लोगों में कैट क्यू वायरस के खिलाफ काम करने वाली एंटीबॉडीज मिली हैं। एंटीबॉडीज शरीर में तभी मिलती हैं जब उससे जुड़े वायरस का संक्रमण हुआ हो।
मच्छर और सुअर से फैलता है कैट क्यू वायरस
ICMR के संस्थान नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के मुताबिक, इस वायरस के सबसे ज्यादा मामले चीन और वियतनाम में देखे गए हैं। यह वायरस क्यूलेक्स मच्छरों और सुअरों से फैलता है। देश में 2014 से 2017 के बीच सीरम कलेक्ट किया गया था। इसकी जांच के दौरान 2 लोगों में कैट क्यू वायरस के खिलाफ एंटीबॉडीज मिलीं। इससे एक बात साफ है कि इनमें इस वायरस का संक्रमण हुआ है। हालांकि अब तक भारत में यह वायरस किसी भी इंसान या जानवरों में नहीं मिला है।
दोनों ही मामले कर्नाटक से जुड़े
जिन दो लोगों में कैट क्यू वायरस की एंटीबॉडी (Anti-CQV IgG) मिली हैं, वो कर्नाटक से हैं। ICMR के मुताबिक, इंसानों और सुअरों के सीरम सैंपल्स की जांच होनी चाहिए ताकि पता चल सके कि कहीं यह वायरस हमारे बीच पहले से ही मौजूद तो नहीं है।भारत में क्यूलेक्स मच्छर की प्रजाति का विस्तार होने से इस वायरस का संक्रमण फैलने की आशंका जताई जा रही है।
कितना खतरनाक है कैट क्यू वायरस
यह खासतौर पर चीन और वियतनाम में क्यूलेक्स मच्छरों और सुअरों में पाया जाता है। यह वायरस खतरनाक है या नहीं, अब तक स्पष्ट नहीं हो पाया है। इसका संक्रमण इंसेफेलाइटिस और मेनिनजाइटिस जैसे रोगों की वजह बन सकता है। मरीजों में बुखार, सिरदर्द जैसे लक्षण दिख सकते हैं।
चीन के सुअरों में बड़े पैमाने पर इसके खिलाफ एंटीबॉडीज मिल चुकी हैं। यह इस बात का संकेत है कि वहां वायरस फैल रहा है। इसमें मच्छरों और सुअरों के जरिए दूसरे जानवरों में फैलने की भी क्षमता है।
नाक से दी जाने वाली वैक्सीन से कोरोना को 96 फीसदी तक रोका जा सकता है। यह दावा ऑस्ट्रेलिया की कम्पनी एना रेस्पिरेट्री ने किया है, जिसने यह वैक्सीन तैयार की है। कम्पनी का दावा है, वैक्सीन का ट्रायल जानवरों पर किया जा चुका है जो सफल रहा है। यह इंसानों के इम्यून सिस्टम को स्ट्रॉन्ग बनाकर कोरोना की संक्रमण फैलाने की क्षमता को घटा सकती है।
इंसानों पर ट्रायल की तैयारी
ब्रिटेन की सरकारी एजेंसी पब्लिक हेल्थ इंग्लैंड की रिसर्च कहती है, ऑस्ट्रेलियाई कम्पनी की नेजल स्प्रे INNA-051 को वैक्सीन के विकल्प के तौर पर इस्तेमाल किया जा सकता है। यह 96 फीसदी तक कोरोना के संक्रमण का खतरा घटाती है। कम्पनी एना रेस्पिरेट्री का कहना है, नेजल स्प्रे INNA-051 का अगले 4 महीनों के इंसानों पर अंदर शुरू हो जाएगा।
चीनी नेजल स्प्रे वैक्सीन का भी ट्रायल शुरू होगा
चीन में भी नाक से दी जाने वाली नेजल स्प्रे वैक्सीन तैयार की गई है। चीन इस वैक्सीन का ट्रायल नवंबर में शुरू होगा। इसके लिए 100 वॉलंटियर्स को चुना जाएगा। इसे यूनिवर्सिटी ऑफ हॉन्गकॉन्ग, शियामेन यूनिवर्सिटी और बीजिंग वंताई बायोलॉजिकल फार्मेसी के वैज्ञानिकों ने मिलकर तैयार किया है।
वैक्सीन वायरस को नाक में रोकेगी ताकि फेफड़े तक न पहुंच सके
हॉन्गकॉन्ग यूनिवर्सिटी के वैज्ञानिक यूऐन क्वोक युंग के मुताबिक, यह वैक्सीन सांस लेने के दौरान आने वाले कोरोनावायरस को रास्ते में रोक देगी जहां से वो फेफड़ों तक जाते हैं। इससे शरीर का इम्यून सिस्टम वायरस पर शुरुआत में ही हमला कर देगा। उसे संक्रमण फैलाने से रोकेगा।
वैक्सीन से मिलेगी दोहरी सुरक्षा
नाक से डाली जाने वाली वैक्सीन से इंफ्लुएंजा और कोरोना वायरस दोनों से सुरक्षा मिलेगी। वैक्सीन के तीनों क्लीनिकल ट्रायल खत्म होने में कम से कम एक साल का समय लगेगा।
आईआईटी दिल्ली के शोधकर्ताओं ने कोरोना पीड़ितों के इलाज के लिए असरदार दवा ढूंढी है। दवा का नाम टीकोप्लेनिन है। यह कोरोना की दूसरी दवाओं के मुकाबले 10 गुना अधिक असरदार है। टीकोप्लेनिन कोरोना के मरीजों को दी जा रहीं हाइड्रोक्सी-क्लोरोक्वीन और लोपिनाविर से भी ज्यादा असरदार है। यह एक एंटीबॉयोटिक दवा है।
23 दवाओं पर रिसर्च हुई
आईआईटी दिल्ली के संस्थान कुसुम स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेस ने 23 ऐसी दवाओं पर रिसर्च की, जिनसे कोरोना के मरीजों का इलाज किया जा रहा है। शोधकर्ता प्रो. अशोक पटेल ने दावा किया, जब टीकोप्लेनिन की तुलना कोरोना के इलाज में इस्तेमाल होने वाली दूसरी दवाओं से की गई तो यह 10 गुना अधिक असरदार साबित हुई।
यह रिसर्च इंटरनेशनल जर्नल ऑफ बायोलॉजिकल मैक्रोमॉलिक्यूल में भी प्रकाशित हुई है। इस रिसर्च से एम्स के विशेषज्ञ डॉ. प्रदीप शर्मा भी जुड़े हैं।
बड़े पैमाने पर रिसर्च की जरूरत
टीकोप्लेनिन एक ग्लायकोपेप्टाइड एंटीबायोटिक है। इसका इस्तेमाल ग्राम-पॉजिटिव बैक्टीरिया के संक्रमण का इलाज करने में किया जाता है। अमेरिका में क्लीनिकल ट्रायल के लिए इसे फूड एंड ड्रग एडमिनिस्ट्रेशन भी अनुमति भी दे चुका है।
हाल ही में रोम की सेपिएंजा यूनिवर्सिटी में भी टीकोप्लेनिन दवा पर एक क्लीनिकल स्टडी हुई।
देश में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 61 लाख के पार पहुंचा
देश में कोरोना मरीजों की संख्या 61 लाख 48 हजार 640 हो चुकी है। सोमवार को 69 हजार 668 मरीज बढ़े। वहीं, 85 हजार 194 लोग स्वस्थ भी हो गए। ये आंकड़े covid19india.org के मुताबिक हैं।
इस बीच, भोपाल में हुए सीरो सर्वे में कोरोना को लेकर हैरान करने वाली बात पता चली है। यहां हर 100 लोगों में से 18 व्यक्ति ऐसे हैं, जो कोरोना संक्रमित होने के बाद स्वस्थ हो चुके हैं। उन्हें स्वयं के संक्रमित होने का पता भी नहीं चला।
मुंबई जिले में मरीजों की संख्या 2 लाख से ज्यादा हो गई है। सोमवार को 2044 मरीज मिले। इसके साथ मुंबई जिला देश का ऐसा चौथा जिला बन गया है, जहां मरीजों की संख्या 2 लाख से ज्यादा है। मृत्यु दर भी सबसे ज्यादा 4.4% है।
दिल को सेहतमंद रखने के लिए कई बातों को समझना जरूरी है। पहली बात, अगर आप हृदय रोगी हैं तो क्या करें। दूसरी बात, घर में पेरेंट्स हार्ट डिसीज से जूझ रहे हैं तो क्या करें। और तीसरी बात, अगर आप पूरी तरह स्वस्थ हैं तो कैसे इसे होने से रोकें। आज वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए, इन्हीं तीनों बातों के बारे में...
1. परिवार में हार्ट हिस्ट्री रही है तो
माता-पिता 55 की उम्र से पहले हृदय रोग से पीड़ित हो गए हैं, तो सामान्य लोगों की तुलना में आपको हृदय रोग की आशंका 50% अधिक है। इसलिए परिवार की हैल्थ हिस्ट्री की जानकारी जरूरी है।
हाई ब्लड प्रेशर और उच्च कोलेस्ट्रॉल दिल के दौरे का खतरा बढ़ाते हैं। इनकी नियमित जांच कराएं। बॉडी मास इंडेक्स 18.5-24.9 के बीच होना चाहिए।
स्मोकिंग व शराब से दूरी, वजन पर नियंत्रण, नियमित व्यायाम से हार्ट डिसीज की परिवारिक हिस्ट्री के बावजूद दिल की बीमारी का खतरा 45% तक घट जाता है।
शुगर या ब्लडप्रेशर की दवा ले रहे हैं तो कभी अपने डॉक्टर से पूछे बिना उन्हें बंद न करें। जब आप डॉक्टर के पास जाएं तो पूरी तैयारी से जाएं। उन्हें परिवार की हिस्ट्री जरूर बताएं।
2. आप पूरी तरह स्वस्थ हैं तो
दिन की तुलना में शाम के बाद हमारे शरीर के लिए ग्लूकोज को प्रोसेस करना कठिन हो जाता है। इसलिए रात का खाना 7 बजे तक हो जाना चाहिए। इस बार वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन ने ‘द हार्ट हीरो चैलेंज एप’ लॉन्च किया है। यह हार्ट मॉनिटरिंग में मदद करता है।
हार्ट डिसीज की शुरुआत 5 की उम्र में भी हो सकती है। इसलिए बच्चों को ओवर ईटिंग से बचाइए। भारत में यूरोप की तुलना में कम उम्र में हार्ट अटैक का खतरा तीन गुना ज्यादा है। हर व्यक्ति 40 की उम्र के बाद सीटी एंजियोग्राम जरूर कराए। यह दस साल पहले बीमारी के बारे में बता सकता है।
दांतों का ध्यान रखिए। दांतों के रोग के बैक्टीरिया सी-रिएक्टिव प्रोटीन बनाते हैं जो, रक्त वाहिकाओं में सूजन का कारण बनते हैं। इससे हृदय रोग का जोखिम बढ़ जाता है।
3. अगर खुद दिल के मरीज हैं तो
भारत में दिल का दौरा पड़ने के बाद 23% मरीज एक साल के भीतर मर जाते हैं। दिल की बीमारी के मरीजों को हमेशा घर में इकोस्प्रिन टैबलेट रखनी चाहिए। परिवार को भी इसकी जानकारी हो, ताकि आपात स्थिति में वे टैबलेट दे सकें।
दिल के रोगी रोज रात 7 से 9 घंटे की नींद जरूर लें। कम से कम 45 मिनट एक्सरसाइज करें। फिर भले ही वह सिर्फ वाॅकिंग ही क्यों न हो।
कोरोना व्यक्ति के लंग्स को प्रभावित करता है। लंग्स बॉडी के लिए जरूरी ऑक्सीजन शुद्ध करते हैं। कोरोना में शरीर में ऑक्सीजन की मात्रा काफी हद तक कम हो सकती है। ऐसे में हृदय को ऑक्सीजन की समान मात्रा पंप करने के लिए कड़ी मेहनत करनी पड़ती है। इसलिए घर में ही थोड़ी जंपिंग, रस्सी कूदने जैसे कार्डियो एक्सरसाइज करें।
रोजाना एक्सरसाइज और खुश रहते हैं तो दिल की बीमारी का खतरा 50 फीसदी तक कम हो जाता है। बढ़ती उम्र के साथ एक्सरसाइज में बदलाव भी जरूरी है। हार्ट को हेल्दी रखना चाहते हैं तो अपनी उम्र के मुताबिक एक्सरसाइज चुन लें।
20 की उम्र तक : दौड़ें, खेलें, एरोबिक्स करें इससे आपका हार्ट अधिक पंप करेगा
इस उम्र में दौड़ने, साइकिल चलाने, खेलने से मजबूत दिल की नींव पड़ती है। ये एक्सरसाइज दिल को पंप करती हैं। बच्चों को हर दिन दौड़ने, कूदने और खेलने के बहुत सारे मौके मिलने चाहिए। 6 से 17 साल के बच्चों को हर दिन कम से कम 1 घंटा (60 मिनट) शारीरिक गतिविधि जरूर करनी चाहिए। फिर चाहे वो स्कूल में हो या घर के पास मैदान में। हार्ट के लिए इस उम्र में बच्चे एरोबिक गतिविधि भी कर सकते हैं।
21 से 40 साल तक : हफ्ते में 5 दिन ये व्यायाम हार्ट बीट रखेंगे नॉर्मल
20 की उम्र में शरीर मजबूत और लचीला होता है। फिटनेस की नींव रखने का यह सही समय है। दोस्तों के साथ खेल खेलें, जैसे कि टेनिस या रैकेटबॉल। खेल में हाइकिंग या बाइकिंग, स्वीमिंग शामिल करें। सप्ताह में कम से कम 5 दिन, 60 मिनट व्यायाम जरूर करें। 30 की उम्र के बाद वजन को नियंत्रित करना सबसे जरूरी है। इस उम्र के बाद हड्डियां कमजोर होने लगती हैं। हड्डियां मजबूत बनाने के लिए यह समय अच्छा है। रोज वेटलिफ्टिंग करें। इन कार्डियोवस्कुलर वर्कआउट से हृदय गति बढ़ती रहती है। रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल का स्तर बेहतर होता है।
41 से 60 साल तक : शरीर को धीमा होने से रोकें, जोड़ो में दर्द हो तो स्विमिंग-साइक्लिंग करें
40 साल की उम्र के बाद शरीर में स्वाभाविक रूप से गिरावट शुरू हो जाती है। हमारी मांसपेशियां लचक खोने लगती हैं। पुरुष और महिला दोनों के हार्मोन के स्तर में गिरावट आती है। हार्ट की बीमारी का खतरा भी बढ़ जाता है। इससे निपटने का सबसे अच्छा तरीका एक्सरसाइज ही है। सप्ताह में कम से कम 3 से 5 बार कार्डियो वर्कआउट जरूर करें। यदि आपके जोड़ों में दर्द रहने लगे तो आप साइक्लिंग और स्विमिंग करें। जब आप 50 की उम्र के पार हो जाते हैं तो रोजमर्रा में हाथ-पैर में दर्द की शिकायत आम हो सकती है। इस उम्र के बाद पाचन क्षमता धीमी हो जाती है। वजन आसानी से बढ़ सकता है। ये एक्सरसाइज इससे बचाती है।
60 साल के बाद : उम्र के इस पड़ाव पर स्वस्थ हैं तो भी एक्सरसाइज करना न छोड़ें
शोधकर्ताओं ने पाया है कि जो लोग उम्र बढ़ने पर शारीरिक गतिविधियां करना कम कर देते हैं, उनमें हृदय संबंधी समस्याओं का खतरा 27% बढ़ जाता है। जबकि जो लाेग शारीरिक गतिविधियां जारी रखते हैं, उनमें जोखिम 11% तक कम होता है। इस उम्र में ब्रिस्क वॉकिंग, वेट लिफ्टिंग, डांसिंग, गार्डनिंग, योगा करें। तनाव से बचें। तनाव से एड्रेनालाईन जैसे हार्मोन रिलिज होते हैं। ये धमनियों को संकीर्ण बनाते हैं। रक्तचाप बढ़ाते हैं। याेग से तनाव कम होता है।
सप्ताह में 5 दिन एक्सरसाइज से शरीर में स्फूर्ति बनी रहती है। मांसपेशियों और हड्डियां मजबूत बनती हैं।
इनोवेशन और तकनीक ने हृदय रोगियों को बीमारी से निपटने की ताकत दी है। वैज्ञानिकों ने नई तरह हार्ट विकसित किया है और हार्ट अटैक रोकने वाला डिफ्रिबिलेटर्स भी बनाया है। आंखों को देखकर हृदय रोग बताने वाली तकनीक भी सामने आ चुकी है। आज वर्ल्ड हार्ट डे पर जानिए ऐसे ही इनोवेशन जो हार्ट डिसीज से लड़ने में हथियार की तरह काम कर रहे हैं....
सॉफ्ट रोबोट : दिल को धड़़कने में मदद करता है
हार्वर्ड विश्वविद्यालय और बोस्टन चिल्ड्रन्स हॉस्पिटल के शोधकर्ताओं ने एक सॉफ्ट रोबोट बनाया है, जो दिल के चारों ओर फिट हो सकता है। यह रोबोट दिल की मदद धड़कने में करता है। यह डिवाइस उन लोगों के लिए बहुत अधिक उपयोगी है, जिन्हें दिल का दौरा पड़ चुका है और इस वजह से उनका दिल कमजोर हो गया है। यह डिवाइस इन लोगों में हार्टफेल के खतरे को कम करती है। यह खून को पतला करने वाली दवाओं की आवश्यकता को खत्म कर देती है।
डिफ्रिबिलेटर्स : अचानक आने वाले हार्ट अटैक को रोकता है
चेक गणराज्य के प्राग में ना होमोलस अस्पताल के शोधकर्ताओं ने इम्प्लांटेबल डिफ्रिबिलेटर्स बनाई हैं। ये डिवाइस अचानक आने वाले हार्ट अटैक को रोक सकती है। वर्तमान डिफिब्रिलेटर के विपरीत नई डिवाइस में मेटल पल्स जनरेटर को चमड़े के पॉकेट की आवश्यकता नहीं होती है। इसमें लचीले स्ट्रिंग आकार की डिवाइस का उपयोग होता है, जिसमें दिल पर कोई लीड नहीं लगानी पड़ती। इसे लगाने में सिर्फ 20 मिनट का वक्त लगता है।
एआई एल्गोरिदम : आंखों को देखकर बताएगा हार्ट डिसीज
गूगल के रिसर्चर और उसकी हैल्थ केयर सबसीडियरी वर्ली के शोधकर्ताओं ने आर्टिफिशियल एल्गोरिदम विकसित किया है, जो आंखों के अध्ययन के आधार पर बता सकेगा कि व्यक्ति को हार्ट की बीमारी है या नहीं। इस तकनीक को विकसित करने के लिए वैज्ञानिकों ने 3 लाख रोगियों के डेटाबेस को देखा और पैटर्न को स्कैन किया। तकनीक 70% सटीकता से भविष्यवाणी कर सकती है कि मरीज को अगले 5 वर्षों में दिल की समस्या होगी या नहीं।
3 डी बायोप्रिंटेड हार्ट टिश्यू : हार्ट की मांसपेशियां बनाती है मशीन
शिकागो स्थित बायोटेक स्टार्टअप बायोलिफ 4 डी ने एक ऐसी तकनीक विकसित की है, जिससे इंसान के हार्ट की मांसपेशियों के पैच को बायोप्रिंट किया जा सकता है। इन मांसपेशियों को हार्ट की मृत मांसपेशी की जगह लगाया जा सकता है। इससे हार्ट अटैक के मरीजों को तेज रिकवरी में मदद मिलेगी। यह मांसपेशी मरीज की रक्त कोशिकाओं को स्टेम कोशिकाओं में फिर से शामिल करने में मदद कर सकती है।
ई-टैटू : धड़कन मापने के लिए छाती पर लगाए जा सकते हैं
ई टैटू बेहद स्लिम, स्ट्रेचेबल डिवाइस है, जो छाती पर अटैच हो सकती है। यह दिल की धड़कनों को मापती है। यह डिवाइस स्मार्टफोन से दूर से नियंत्रित की जा सकती है और इसे कई दिनों तक पहना जा सकता है। यह टैटू इलेक्ट्रोकार्डियोग्राफ और सिस्मोकार्डियोग्राफ पर भी नजर रखता है। दोनों मापों काे मिलाकार ई-टैटू दिल के स्वास्थ्य का अधिक सटीक मूल्यांकन करता है। इसे टेक्सास यूनिवर्सिटी ने बनाया है।
कोरोनाकाल में हार्ट अटैक और कार्डियक अरेस्ट के मामले 20 फीसदी तक बढ़े हैं। ज्यादातर मरीज हृदय रोगों से जुड़े लक्षण दिखने के बावजूद उसे नजरअंदाज कर रहे हैं। कोरोना के डर से हॉस्पिटल जाने से बच रहे हैं। नतीजा, सर्जरी की नौबत आ रही है। हृदय रोग विशेषज्ञ कहते हैं, कोरोनाकाल में कुछ बातों का ध्यान रखा जाए तो हार्ट के ऑपरेशन्स टाले जा सकते हैं।
आज वर्ल्ड हार्ट डे, इस साल की थीम है ''यूज हार्ट टू बीट कार्डियो वेस्कुलर डिसीज''। इस मौके पर इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक एंड वेस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश गोयल और नानावटी सुपर स्पेशिएलिटी हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. सुशांत पाटिल बता रहे हैं कोरोनाकाल में हार्ट को कैसे हेल्दी रखें...
72 साल की महिला के मामले से समझें क्यों अलर्ट रहना जरूरी
इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल के कार्डियो-थोरेसिक एंड वैस्कुलर सर्जरी के सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुकेश गोयल कहते हैं, कोरोनाकाल में इमरजेंसी यूनिट में हार्ट अटैक के मामले कम आ रहे हैं। कोरोना के कारण मरीज अस्पताल आने से डर रहे हैं। इसलिए घर पर कार्डियक अरेस्ट के कारण होने वाली मौतों की संख्या बढ़ रही है। अगर हृदय रोगों से जुड़े लक्षण दिखते हैं तो डॉक्टरी सलाह लेने में देरी न करें। एक ऐसा ही मामला हमारे पास आया, इससे खतरे को समझा जा सकता है।
हाल ही में फरीदाबाद की 72 साल की महिला हार्टअटैक के बाद अस्पताल पहुंची। वह पिछले 12 घंटे से सीने में जलन को अनदेखा कर रही थी। कोरोना के डर के कारण वह अस्पताल आने से बचती रही। कुछ घंटों बाद स्थानीय डॉक्टर ने उन्हें अपोलो हॉस्पिटल रेफर किया।
हॉस्पिटल में जांच हुई। रिपोर्ट में सामने आया कि हार्ट अटैक के कारण दोनों हार्ट चैम्बर को अलग करने वाली दीवार फट गई थी। इसका असर फेफड़ों पर भी पड़ा और यूरिन आउटपुट होने के कारण किडनी भी फेल हुई। तीन दिन तक कार्डियक सपोर्ट पर रखने के बाद 5 घंटे तक उसकी बायपास सर्जरी हुई।
डॉ. मुकेश के मुताबिक, अगर परेशानी की शुरुआत होते ही उन्हें हॉस्पिटल लाया जाता है तो सर्जरी तक नौबत नहीं पहुंचती। ऐसे मामलों में हालत अगर अधिक बिगड़ने के बाद हॉस्पिटल लाया जाता है तो मरीज़ को आर्टिफिशियल हार्ट इम्प्लान्ट भी कराना पड़ सकता है।
सर्जरी से बचने के लिए हृदय रोगी ये ध्यान रखें
सर्जरी से बचने के लिए सबसे जरूरी है, हृदय रोगी अपनी दवाएं और ट्रीटमेंट न बंद करें। घर में रहते हुए ही खुद को फिजिकली एक्टिव रखें। भीड़ वाली जगहों पर जाने से बचें। बाहर निकलने पर मास्क जरूर लगाएं। घर में कोई बाहरी शख्स आता है सीधेतौर पर उसके सम्पर्क में न आएं।
3 रिसर्च बताती हैं कि कोरोना के निशाने पर हार्ट भी है
हृदय रोगी पहले से कोरोना के रिस्क जोन में हैं लेकिन रिकवरी के बाद भी इसका असर हार्ट पर बरकरार रहता है। ऐसे समझें...
वॉल स्ट्रीट जर्नल की रिपोर्ट कहती है, कोरोना से रिकवर हो चुके मरीजों के हार्ट पर गहरा असर पड़ा है। संक्रमण के इलाज के बाद इनमें सांस लेने में दिक्कत, सीने में दर्द जैसे लक्षण दिख रहे हैं। हार्ट के काम करने की क्षमता पर बुरा असर पड़ रहा है। जो लम्बे समय तक दिखेगा।
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाले 100 में से 78 मरीजों के हार्ट डैमेज हुए और दिल में सूजन दिखी। रिसर्च कहती है, जितना ज्यादा संक्रमण बढ़ेगा भविष्य में उतने ज्यादा बुरे साइड-इफेक्ट का खतरा बढ़ेगा।
ओहियो स्टेट यूनिवर्सिटी की रिसर्च के मुताबिक, कोरोना से रिकवर होने वाला हर 7 में से 1 इंसान हार्ट डैमेज से जूझ रहा है। यह सीधेतौर पर उनकी फिटनेस पर असर डाल रहा है।
हार्ट को हेल्दी कैसे रखें, 5 बातों से समझें
खानपान : मोटा अनाज और कम मीठे फल लें
गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं। आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं। तली और मीठी चीजें जितना कम कर दें, उतना बेहतर है। जितनी भूख से उससे 20 फीसदी कम खाएं और हर 15 दिन में वजन चेक करते रहें।
वर्कआउट : 45 मिनट की एक्सरसाइज या वॉक जरूरी
सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें। वॉकिंग भी करते हैं तो असर दिखता है। दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। वजन जितना बढ़ेगा और हृदय रोगों का खतरा उतना ज्यादा रहेगा। फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे। अगर एक से डेढ़ किलोमीटर जाना है तो पैदल जाएं।
लाइफस्टाइल : जल्दी सोने-जल्दी उठने का रुटीन बनाएं, 7 घंटे की नींद जरूरी
रोजाना कम से कम 7 घंटे की नींद जरूर लें। जल्दी सोने और जल्द उठने का रूटीन बनाएं। रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का आदर्श समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा। तनाव लेने से बचें, इसका सीधा असर मस्तिष्क और हृदय पर होता है।
धूम्रपान-अल्कोहल : इससे जितना दूर रहेंगे, हार्ट उतना हेल्दी रहेगा
धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें। लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है। इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है। इसी तरह अल्कोहल से दूरी बना लेते हैं तो हार्ट हेल्दी रहेगा।
सोशल मीडिया : हार्ट को हेल्दी रखने के लिए अफवाहों से बचना भी जरूरी
डॉ. सुशांत पाटिल कहते हैं, सोशल मीडिया और वॉट्सऐप पर आए मैसेज में कई तरह के दावे किए जाते हैं जो आपकी सेहत को बिगाड़ सकते हैं। हार्ट को लेकर भी कई अफवाह वायरल होती हैं। जैसे- दिन की शुरुआत 4 गिलास पानी से करते हैं तो हृदय रोगों का खतरा नहीं होता। ऐसे मैसेजेस से बचें और कोई भी जानकारी लेने के लिए डॉक्टर पर ही भरोसा करें, वरना ये हालत को सुधारने की बजाय और बिगाड़ सकते हैं।
दुनिया में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से
दुनियाभर में सबसे ज्यादा मौतें हृदय रोगों से होती हैं। वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के मुताबिक, दुनियाभर में हर 3 में से 1 मौत हृदय रोग से हो रही है। इसके 80 फीसदी मामले मध्य आय वर्ग वाले देशों में सामने आते हैं।
दिल को सेहतमंद रखने के लिए फिजिकल एक्टिवटी बेहद जरूरी है। रोजाना 15 मिनट का वर्कआउट हार्ट अटैक और स्ट्रोक से बचाता है। अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के मुताबिक, हेल्दी हार्ट के लिए सप्ताह में 6 दिन 30-45 मिनट का वर्कआउट काफी है।
वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन हर साल 29 सितंबर को वर्ल्ड हार्ट डे मनाता है। मकसद लोगों को हृदय रोगों के प्रति जागरुक करते हुए इसके खतरों से बचाना है। इस मौके पर डॉ. यजुवेन्द्र गवई, स्पोर्ट्स मेडिसिन एक्सपर्ट एंव आर्थोस्कोपी सर्जन, नानावटी हॉस्पिटल, मुंबई से बता रहे हैं हेल्दी हार्ट का फिटनेस प्लान...
1. 30 से 45 मिनट की वॉक
हार्ट को फिट रखने के लिए चलना सबसे आनंददायक, सुरक्षित और सस्ता तरीका है। हेल्दी हार्ट के लिए हर दिन 30- 45 मिनट चलना एक सरल तरीका है। चलने की गति आपकी फिटनेस पर निर्भर है, लेकिन शुरुआत करने वालों के लिए एक मीडियम स्पीड वाली वॉक होनी चाहिए।
2. पीठ और घुटने से परेशान हैं तो साइक्लिंग करें
रोजाना लगभग 25-30 मिनट तक साइकिल चलाना कई तरह से फायदा पहुंचाता है। बढ़ती उम्र के कई लोगों को पीठ और घुटने की बीमारियां होती हैं। लंबी दूरी तक जॉगिंग करने या चलने में भी सक्षम नहीं होते हैं। उनके लिए साइक्लिंग खासतौर पर बेहतर विकल्प है। यह पूरे शरीर को फिट रखती है और ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाती है।
3. हफ्ते में ढाई से तीन घंटे की स्विमिंग
एक सप्ताह में ढाई से तीन घंटे तैरने का सुझाव दिया जाता है क्योंकि यह फिट रहने का बेहतर तरीका माना जाता है। यह उनके लिए भी अच्छा विकल्प है जो घुटनों की समस्या से जूझ रहे हैं।
4. डांसिंग भी एरोबिक से कम नहीं
हेल्दी हार्ट के लिए डांसिंग भी एरोबिक एक्सरसाइज की तरह है। केवल अच्छे जूते, थोड़ी सी जगह और संगीत की ज़रूरत है। इसे कितनी देर करना है, अपनी कैपेसिटी के मुताबिक तय करें। इन दिनों ज़ुम्बा काफी ट्रेंड में है। इसे घर पर रहते हुए किया जा सकता है।
5. जॉगिंग करें और टार्गेट हार्ट रेट पर नजर रखें
जॉगिंग भी फिट रहने का एक शानदार तरीका है। ध्यान रखें टार्गेट हार्ट रेट 60-75 प्रतिशत तक पहुंचना चाहिए और इसे प्रति दिन 10-15 मिनट तक बनाए रखना चाहिए। टारगेट हार्ट रेट 220 से आपकी उम्र घटाकर पाया जा सकता है। उदाहरण के लिए, 50 साल के व्यक्ति के लिए टारगेट हार्ट रेट 170 बीट/मिनट है। एक स्वस्थ दिल वाले 50 वर्षीय व्यक्ति के लिए प्रति मिनट 120-125 बीट्स तक पहुंचना पर्याप्त है। हार्ट रेट को अपने फिटनेस गैजेट से चेक कर सकते हैं।
कोरोना संक्रमण के कारण ज्यादातर मरीजों को सांस लेने में दिक्कत है। आक्सीजन का लेवल गिरने पर अस्पतालों में वेंटिलेटर नहीं मिल पा रहा है। ऐसे मरीजों के लिए प्रोन पोजिशन आक्सीजनेशन तकनीक 80 प्रतिशत तक कारगर है। हर चिकित्सा प्रणाली के विशेषज्ञ डॉक्टरों ने प्रोन पोजिशन को अस्पतालों में भर्ती कोरोना मरीजों के लिए 'संजीवनी' बताया है।
सांस लेने में तकलीफ होने पर इस अवस्था में 40 मिनट लेटते हैं तो आक्सीजन का लेवल सुधरता है। पेट के बल लेटने से वेंटिलेशन परफ्यूजन इंडेक्स में सुधार आता है। डॉक्टरों ने कोविड के मरीजों को सलाह दी है कि सांस लेने में दिक्कत होने पर इस तकनीक को आजमा सकते हैं।
इस पोजीशन का इस्तेमाल एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस की हालत में किया जाता है, ताकि ऑक्सीजन सर्कुलेट की जा सके। ऐसी स्थिति में फेफड़ों के निचले हिस्से में पानी आ जाता है।
प्रोन पोजिशन बनाते हुए ये ध्यान रखें
गर्दन के नीचे एक तकिया, पेट-घुटनों के नीचे दो तकिए लगाते हैं और पंजों के नीचे एक। हर 6 से 8 घंटे में 40-45 मिनट ऐसा करने के लिए कहते हैं।
पेट के बल लिटाकर हाथों को कमर के पास पैरलल भी रख सकते हैं। इस अवस्था में फेफड़ों में खून का संचार अच्छा होने लगता है। फेफड़ों में मौजूद फ्लुइड इधर-उधर हो जाता है और यहां तक ऑक्सीजन पहुंचने लगती है।
प्रोन पोजिशन सुरक्षित है और खून में ऑक्सीजन का लेवल बिगड़ने पर कंट्रोल करने का काम करती है। यह डेथ रेट को भी घटाती है।
एक्सपर्ट के मुताबिक, आईसीयू में भर्ती मरीजों को प्रोन पोजिशन से बेहतर रिजल्ट मिलते हैं। वेंटिलेटर न मिलने पर यह सबसे अधिक कारगर तकनीक है। इससे 80 फीसदी तक नतीजे वेंटिलेटर जैसे ही मिलते हैं।
एक्सपर्ट पैनल :एसएमएस अस्पताल, जयपुर के अधीक्षक डॉ. राजेश शर्मा, मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. रमन शर्मा, पल्मोनरी मेडिसिन एक्सपर्ट डॉ. नरेंद्र खिप्पल, अस्थमा रोग विशेषज्ञ डॉ. वीरेन्द्र सिंह, राष्ट्रीय आयुर्वेद संस्थान के निदेशक डॉ. संजीव शर्मा और आयुर्वेद चिकित्सक डॉ. राकेश पांडे।
देश में जितनी मौतें अब तक कोरोना से हुई हैं उससे ज्यादा रैबीज से हुई हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) के मुताबिक, कुत्ते के काटने से होने वाली बीमारी रैबीज से पिछले 5 सालों में 1 लाख मौतें हुई हैं। यह आंकड़ा भारत का है। दुनियाभर में रैबीज से जितने लोगों ने जान गंवाई हैं उसकी 35 फीसदी मौतें भारत में हुई हैं।
मौतों का आंकड़ा बताता है कि लोगों को अलर्ट करने की जरूरत है कि रैबीज से कैसे बचें और इसके होने पर क्या दिक्कतें झेलनी पड़ती हैं।
आज वर्ल्ड रैबीज डे है। इसे फ्रेंच वैज्ञानिक लुइस पॉश्चर की डेथ एनिवर्सरी के मौके पर मनाया जाता है। लुइस ने ही रैबीज की वैक्सीन खोजी थी और हर साल लोगों को रैबीज के बारे में जागरुक करने के लिए इस दिन को मनाया जाता है।
कैसे फैलता है रैबीज
रैबीज का वायरस कुत्ते के काटने के बाद इंसान में पहुंच जाता है। संक्रमित होने के बाद मरीज में बुखार, सिरदर्द, उल्टी, मुंह से अधिक लार निकलने के लक्षण दिखाई देते हैं। रैबीज का वायरस सिर्फ कुत्तों के जरिए ही नहीं बिल्ली, बकरी, घोड़े और गाय से भी फैल सकता है।
रैबीज फैलने से कैसे रोकें
संक्रमण को रोकने के लिए अपने पालतु जानवरों को रैबीज की वैक्सीन लगवाएं। इसे दूसरे नुकसान पहुंचाने वाले जानवरों से दूर रखें। कई रिसर्च रिपोर्ट में यह सामने आया कि चमगादड़ दूसरे जानवर तक इसका वायरस को फैलाते हैं, इसलिए अपने पालतु जानवरों को चमगादड़ की पहुंच से दूर रखें।
कुत्ते के काटने पर क्या करें
कुत्ते के काटने के बाद अगर उसका ओनर आसपास है तो पूछें कि क्या कुत्ते का वैक्सीनेशन हुआ है।
ऐसी स्थिति में घबराएं नहीं बल्कि डॉक्टर तक पहुंचने की कोशिश करें।
घाव को साबुन और पानी से साफ करें।
घाव में टांके न लगवाएं और न ही उस पर एंटी-माइक्रोबियल लोशन लगाएं।
एंटी-रैबीज सीरम तब ही लें जब कुत्ते ने रीढ़ की हड्डी या गर्दन पर काटा हो।
कुत्ते के काटने के बाद 72 घंटे के अंदर वैक्सीन लगवाएं।
अपने पालतू कुत्तों को वैक्सीन के इंजेक्शन जरूर लगवाएं।
क्या न करें
कई लोग घाव वाले हिस्से पर गोबर लगाने की सलाह देते हैं, ऐसा बिल्कुल भी न करें।
घाव होने के बाद लोग हफ्तेभर नहाने से बचते हैं, यह भ्रम न पालें।
घाव वाले हिस्से पर हल्दी, नमक या घी न लगाएं। जल्द से जल्द डॉक्टर से मिलेें।
रेबीज संक्रमित जानवर के काटने पर इलाज में देरी या लापरवाही न करें।
कुत्तों और बंदरों जैसे जानवरों के सम्पर्क में ज्यादा न जाएं।
क्या हो रहा है वायरल : सोशल मीडिया पर एक मैसेज वायरल हो रहा है। इसमें दावा किया जा रहा है कि जिन लोगों की कोरोना संक्रमण से मौत हुई है, उनके परिवार को मोदी सरकारी की दो बीमा योजनाओं के जरिए 2 लाख रुपए मिल सकते हैं।
वायरल मैसेज में कहा गया है कि : यदि आपके किसी परिचित की कोविड-19 से मौत हुई है। तो उनका बैंक स्टेटमेंट चेक करें। अगर बैंक स्टेटमेंट में अप्रैल 2019 से मार्च 2020 के बीच 12 रुपए प्रति माह या 330 रुपए प्रति माह की किश्त कटी है। तो परिवार को सरकारी बीमा के जरिए 2 लाख रुपए की राशि मिलेगी। दावा है कि ये राशि ‘प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना’ (PMJJBY) या फिर प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ( PMSBY) के तहत मिलेगी।
और सच क्या है ?
PMJJBY और PMSBY के तहत कोरोना से होने वाली मौत पर 2 लाख रुपए राशि मिलती है या नहीं। इसकी पुष्टि के लिए हमने दोनों ही योजनाओं की ऑफिशियल वेबसाइट पर नियम और शर्तें चेक कीं।
प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना ( PMJJBY ) में प्रति माह 330 रुपए की किश्त जमा करनी होती है। बीमा एक साल का होता है, साल पूरा होने पर इसे रिन्यु कराना होता है। इस बीमा योजना के तहत किसी भी कारण से बीमा धारक की मौत होने पर उत्तराधिकारी को 2 लाख रुपए की राशि मिलने का प्रावधान है।
चूंकि किसी भी कारण से मौत होने पर राशि मिलने का प्रावधान है। तो जाहिर है कोरोना संक्रमण से मौत होने पर भी PMJJBY के तहत 2 लाख रुपए मिलेंगे। हालांकि, ये बीमा 18 वर्ष से 55 वर्ष की आयु के लोगों का ही होता है। यानी अगर मृतक की उम्र 55 वर्ष से ज्यादा है तो परिवार को कोई राशि नहीं मिलेगी। वायरल मैसेज में इस शर्त के बारे में नहीं बताया गया है।
प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना ( PMSBY) में एक्सीडेंट से मौत होने ( एक्सीडेंटल डेथ) या फिर एक्सीडेंट से विकलांग होने की सूरत में क्लेम की राशि मिलती है। 18 से 70 वर्ष की आयु के लोग यह बीमा करा सकते हैं। इसमें सिर्फ 13 रुपए सालाना किश्त देनी होती है। पड़ताल के अगले चरण में हमने ये पता लगाना शुरू किया कि आखिर बीमा कंपनियां दुर्घटनाओं से होने वाली मौत (एक्सीडेंटल डेथ) किसे मानती हैं। क्या कोविड-19 को एक्सीडेंटल डेथ माना जाएगा ?
देश भर की बीमा कंपनियों को रेगुलेट करने वाली संस्था, इंश्योरेंस रेगुलेटरी एंड डवलपमेंट अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( IRDAI) की ऑफिशियल वेबसाइट से पता चलता है कि : सिर्फ ऐसी चोट से होने वाली मौत को एक्सीडेंटल डेथ माना जाता है, जिसके इलाज के लिए सर्जरी की जरूरत हो। जाहिर है कोविड-19 से होने वाली मौत को एक्सीडेंटल डेथ नहीं माना जाएगा।
पड़ताल से स्पष्ट होता है कि वायरल हो रहे मैसेज में जिन 2 योजनाओं का जिक्र है। उनमें से एक योजना में ही कोविड-19 से होने वाली मौत पर परिवार को बीमा राशि मिल सकती है, उसमें भी कुछ शर्तें हैं। दूसरी योजना में कोरोना से होने वाली मौत पर क्लेम मिलने का कोई प्रावधान नहीं है। वायरल मैसेज भ्रामक है।
पीठ दर्द, थकान और बढ़ते वजन से परेशान हैं तो शलभासन करना फायदेमंद है। शलभ एक संस्कृत का शब्द है जिसका हिंदी में अर्थ है पतंगा या टिड्डा। शलभासन सायटिका एवं पीठ के निचले हिस्से में हो रहे दर्द से राहत देता है। यह पाचन को बेहतर बनाने के साथ मांसपेशियों को आकार देता है।
ऐसे करें आसन
शलभासन करने के लिए सबसे पहले आपको मकरासन की मुद्रा में आना होगा। जमीन पर पेट के बल लेट जाएं और अपने पैरों को एक दूसरे से दूर रखें।
अपने माथे को अपनी हथेलियों पर रखें। अब मकर आसन से आगे बढ़ते हुए अपने दोनों पैरों को आपस में जोड़ लें।
अब दोनों हाथों को शरीर के समीप इस तरह रखें कि दोनों हथेलियां आसमान की ओर हों और आपकी ठोड़ी ज़मीन पर हो।
गहरी सांस लेते हुए सिर्फ अपने कूल्हों के सहारे पैरों को ज़मीन से उपर उठाएं।
अपने पैरों को उतना ही उपर उठाएं जितना आप अपने घुटनों को बिना मोडे़ उठा सकें।
आप पैरों को उपर उठाए रखने के लिए अपनी बाहों का सहारा ले सकते हैं जिससे आप अपने शरीर को स्थिर रख सकें।
अब सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें और 10-20 सेकंड तक आराम से रहें।
10-20 सेकंड तक इस आसान में रहने के बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपने पैरों को ज़मीन पर लाएं।
अब कुछ समय तक मकरासन में आने के बाद आराम करें।
योग विशेषज्ञ डॉ. नीलोफर से जानिए इसके फायदे-
पीठ दर्द से दिलाएगा आराम: यह आसान सायटिका एवं पीठ के निचले हिस्से में हो रहे दर्द से राहत दिलाता है।
मांसपेशियों को देगा आकार: यह आसन कूल्हों और कूल्हों के आस-पास की मांसपेशियों को आकार देता है।
वज़न होगा कम: शलभासन को नियमित रूप से करने पर जांघों की चर्बी घटती है और वजन कम होता है।
पाचन क्रिया में आएगा सुधार: यह आसन पेट के लिए लाभकारी है और पाचन क्रिया को बेहतर बनाता है।
थकान होगी दूर: शलभासन आपके मानसिक तनाव और थकान को भी दूर करता है।
ये बातों ध्यान रखें
गर्भवती महिलाओं, पेप्टिक अल्सर, हर्निया, हाई बीपी और हृदय के रोगियों को यह आसन नहीं करना चाहिए।
अगर आपकी पीठ के निचले हिस्से में बहुत दर्द हो तो इस आसन को सावधानी से करना चाहिए।
फोटो-सेल्फी खिंचाने की होड़, चेहरे पर मुस्कान और हफ्तेभर का आउटिंग प्लान। फिलहाल ये नजारा अब नहीं दिख रहा। चेहरे पर मास्क ने फोटो का मजा खराब किया। टूरिस्ट प्लेस को छूने भर से मन में कोरोना का डर सता रहा है। कई महीनों तक लॉकडाउन में घर में कैद रहने के बाद पर्यटक अब धीरे-धीरे टूरिस्ट प्लेस की ओर लौट रहे हैं।
आज वर्ल्ड टूरिज्म डे है। संयुक्त राष्ट्र ने इसकी शुरुआत 1980 में की थी। 40 साल में ऐसा पहली बार है जब टूरिस्ट प्लेस पर सबसे कम पर्यटक हैं। कोरोनाकाल में कितना बदला टूरिस्ट डेस्टिनेशन इन 8 तस्वीरों से समझिए....
आगरा : पर्यटक ताज का दीदार कर रहे लेकिन फोटो के लिए मारामारी नहीं
6 महीने के लम्बे इंतजार के बाद पर्यटकों को 21 सितम्बर से ताजमहल का दीदार करने का मौका मिला। यहां एक शिफ्ट में 2500 लोगों को ही एंट्री दी जा रही है। एक दिन में दो शिफ्ट की परमिशन दी गई है। कोरोना के कारण भीड़ पहले से कम है। फोटो और सेल्फी खिंचाने की हड़बड़ी नहीं दिख रही है। फोटो खिंचाने के लिए पर्यटक ताजमहल से थोड़े दूर ही नजर आते हैं।
पार्किंग से लेकर एंट्री टिकट तक सभी पेमेंट ऑनलाइन करने पड़ रहे हैं। दीवारों और बैरिकेड्स को छूने की मनाही है। मास्क लगाने और थर्मल स्क्रीनिंग के बाद एंट्री दी जा रही है। इतने नियमों को पार करते हुए पर्यटक अंदर पहुंच रहे हैं।
ताजमहल के केयरटेकर अमरनाथ गुप्ता कहते हैं, यहां के पूर्वी और पश्चिमी गेट को सैनेटाइज किया जाता है और हर पर्यटक की थर्मल स्क्रीनिंग की जा रही है। सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराने के लिए जमीन पर सर्किल बनाए गए हैं। देश के पर्यटकों के लिए टिकट की कीमत 50 रुपए और विदेशियों के लिए 1100 रुपए है।
जयपुर : हवामहल में पर्यटक घटे, कलाकारों का जोश नहीं
जयपुर के हवामहल में भले ही पर्यटक घटे हैं लेकिन यहां कल्चरल एक्टिविटी से जुड़े कलाकारों में जोश नहीं कम हुआ है। कम पर्यटकों के बीच मास्क और सोशल डिस्टेंसिंग के साथ वे अपना हुनर दिखाते नजर आ रहे हैं।
हवामहल मार्केट के एक दुकानदार का कहना है, पहले के मुकाबले आमदनी में 70 फीसदी तक की कमी आई है। विदेशी पर्यटकों से सबसे ज्यादा कमाई होती है और वहीं यहां नहीं पहुंच रहे। यहां जो भी भारतीय पर्यटक आ रहे हैं वो खरीदारी में उतना इंट्रेस्ट नहीं ले रहे हैं।
पेरिस : एफिल टॉवर में एस्केलेटर नहीं सीढ़ियों से जाना पड़ रहा
पेरिस के एफिल टॉवर का नजारा इस साल थोड़ा बदला है। कोरोना के कारण पर्यटकों की संख्या भी घटी है और उनका ग्रुप भी छोटा हुआ है। यानी अब एक ग्रुप में 2 से 3 पर्यटक ही नजर आ रहे हैं।
यहां टॉवर की चोटी तक पहुंचाने वाले एस्कलेटर को पूरी तरह से बंद कर दिया गया है। पर्यटकों को ऊंचाई से नजारा देखने के लिए सीढ़ियों का रुख करना पड़ रहा है।
एंट्री के लिए पूर्वी टॉवर और बाहर निकलने के लिए पश्चिमी टॉवर की व्यवस्था है। इस दौरान कर्मचारी लगातार नजर रख रहे हैं कि इस व्यवस्था का सख्ती से पालन हो। सभी को मास्क लगाना जरूरी है और जिनकी उम्र 11 से कम है उन्हें फेस शील्ड लगाना अनिवार्य है। यहां हर साल 70 लाख लोग पहुंचते हैं।
इटली : एंट्री के लिए ऑनलाइन टिकट जरूरी पर 15 मिनट पहले पहुंचना पड़ेगा
यूनेस्को की विश्व विरासत में शामिल रोम के कोलोजियम में पहुंचने के लिए ऑफलाइन टिकट नहीं मिलेगा। इसकी ऑनलाइन बुकिंग के बाद भी दिए समय समय से 15 मिनट पहले पहुंचना होगा।
सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाना जरूरी है। अगर नियम को तोड़ते हैं तो सीधे आपको बाहर कर दिया जाएगा। यहां 45 मिनट के बाद आपको बाहर निकलना होगा।
हॉन्गकॉन्ग : इस बार भीड़ कम लेकिन पर्यटकों की तैयारी में कमी नहीं
कोरोनाकाल में हॉन्गकॉन्ग का डिज्नीलैंड दोबारा 25 सितम्बर से खोला गया है। इसे गर्मियों में खोला गया था लेकिन कोरोना के मामले बढ़ने पर बंद कर दिया गया था। इस बार खास बात रही कि पर्यटकों की संख्या कम रही लेकिन इनके उत्साह में कमी नहीं थी। बड़ों से लेकर बच्चों तक रंगबिरंगी ड्रेस में नजर आए।
इस बार गाइडलाइन में काफी बदलाव हैं, जिसका सख्ती से पालन कराने की कोशिश की जा रही है। कर्मचारी हर तरफ नजर रख रहे हैं। डिज्नीलैंड के जिस हिस्से सबसे ज्यादा पर्यटक जाते हैं उसे कई बार सैनेटाइज कराया जा रहा है। रेस्तरां से लेकर राइडिंग तक सोशल डिस्टेंसिंग का पालन कराया जा रहा है।
वेनिस : ग्रैंड कैनाल में इक्का-दुक्का बोट नजर आ रहीं, टूरिज्म टैक्स का प्लान ठंड बस्ते में गया
वेनिस की ग्रैंड कैनाल में पर्यटकों की संख्या धीरे-धीरे बढ़ रही है लेकिन रफ्तार बेहद धीमी है। टूरिज्म इंडस्ट्री से जुड़े फेबियो पिला कहते हैं, मैं 40 सालों से यहां काम कर रहा हूं लेकिन ऐसा हाल पहली बार देख रहा है। आखिरी बार यहां पर्यटकों की बड़ी भीड़ नवम्बर में देखी थी। मैं जितनी कमाई पर्यटकों से करता था वर्तमान में उसका मात्र 10 फीसदी ही कर पा रहा हूं।
फेबियो कहते हैं, अभी भी अमेरिका और चीन के लोगों को देश में एंट्री की परमिशन नहीं दी गई है। इटली के पर्यटक ही शॉर्ट ट्रिप के लिए यहां आ रहे हैं। पिछले साल बढ़ी हुई भीड़ के कारण यहां इस साल से 250 से 700 रुपए तक टूरिस्ट टैक्स वसूलने की तैयारी की जा रही थी जिस अब अगले साल के लिए टाल दिया गया है।
फ्रांस का पैलेस ऑफ वर्सेलिस : पहले यहां एक दिन 27 हजार लोग पहुंचते थे, अब 4500 की ही एंट्री
82 दिन बाद 6 जून को खुले फ्रांस के पैलेस ऑफ वर्सेलिस में कुछ भी छूने की मनाही है। अमूमन यहां एक दिन में 27 हजार लोगों को एंट्री दी जाती है लेकिन कोरोना के कारण नए नियम लागू किए गए हैं। इसके मुताबिक, महज 4500 लोग एक दिन में यहां आ सकते हैं। एक बार में 500 से अधिक लोगों की एंट्री नहीं दी जा रही है।
मास्क लगाना जरूरी है और 11 साल से कम के बच्चों को ले जाने की मनाही है। पैलेस के अंदर कुछ भी खाने-पानी पर पाबंदी है। यहां भी धीरे-धीरे ही सही पर्यटकों की रफ्तार बढ़ रही है।
फ्रांस का लॉवेर म्यूजियम : मास्क जरूरी और सोशल डिस्टेंसिंग अनिवार्य
फ्रांस के लॉवेर म्यूजियम में जाने के लिए पर्यटकों का उत्साह इतना ज्यादा रहा कि इसके खुलते ही पहले हफ्ते के सभी टिकट ऑनलाइन बिक गए। इसकी शुरुआत इटेलियन पेंटर की प्रदर्शनी के साथ की गई।
म्यूजियम को दिन में दो बार सैनेटाइज किया जा रहा है। अंदर जाने से पहले मास्क पहना जरूरी है और एक साथ कई लोगों के दिखने पर पाबंदी है।
सिगरेट और तम्बाकू फेफड़े ही नहीं हार्ट भी डैमेज कर रहे हैं। तम्बाकू के कारण होने वाले हृदय रोगों से हर साल दुनियाभर में 20 लाख लोगों की मौत हो रही है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने अपनी हालिया रिपोर्ट में यह आंकड़ा जारी किया है। रिपोर्ट कहती है, हृदय रोगों से होने वाली हर पांचवी मौत की वजह तम्बाकू है। साल दर साल इसके मामले बढ़ रहे हैं।
रिपोर्ट की 5 बड़ी बातें जो अलर्ट करती हैं
1. कोरोनरी हार्ट डिसीज में 20 फीसदी मौतों की वजह तम्बाकू
WHO की रिपोर्ट कहती है, कोरोनरी हार्ट डिसीज से होने वाली मौतों में से 20 फीसदी मौतें तम्बाकू के अधिक सेवन के कारण हो रही हैं। सिगरेट और तम्बाकू के कारण हृदय रोगियों की संख्या बढ़ रही है।
2. तम्बाकू छोड़ते ही खतरा 50 फीसदी तक घट जाता है
वर्ल्ड हार्ट फेडरेशन के टोबैको एक्सपर्ट ग्रुप के हेड डॉ. एजुआर्डो बियांको का कहना है कि अगर आप तम्बाकू और सिगरेट छोड़ते हैं तो हृदय रोगों का खतरा 50 फीसदी तक घट जाता है। धुएं से दूर होते ही हृदय और फेफड़े में जमने वाले टार में कमी होने लगती है।
3. ई-सिगरेट भी है खतरनाक
कई लोग समझते हैं कि ई-सिगरेट से कोई खतरा नहीं है लेकिन यह गलत है। डॉ. एजुआर्डो के मुताबिक, ई-सिगरेट खतरनाक है। यह ब्लड प्रेशर को अनियंत्रित कर देती है और इसके बढ़ने के साथ जान का जोखिम बढ़ता जाता है।
4. कोरोनाकाल में खतरा और भी ज्यादा
अब तक कई रिसर्च में भी साबित हो चुका है कि हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोगों से जूझ रहे लोग कोरोना के हाई रिस्क जोन में हैं। अगर ऐसे मरीजों में संक्रमण होता है तो मौत का खतरा ज्यादा है। WHO के सर्वे के मुताबिक, इटली में मरने वाले ज्यादातर लोग ब्लड प्रेशर या हृदय रोगों से जूझ रहे थे।
5. दूसरे की सिगरेट से कश लेने की गलतफहमी भी खतरनाक
WHO की रिपोर्ट कहती है, दुनियाभर में ऐसे लोगों की संख्या बढ़ी है जो दिन में एक सिगरेट पीते हैं या किसी दूसरे की सिगरेट से कश लगाते हैं। इन्हें लगता है कि इससे खतरा कम हो जाता है। यह गलतफहमी है। यही वजह है कि हार्ट और लंग्स से जुड़ी बीमारियां युवाओं को कम उम्र में ही घेर रही हैं।
दिल को स्वस्थ रखने के 10 आसान तरीके
गेहूं की रोटी की जगह बाजरा, ज्वार या रागी अथवा इनका आटा मिलाकर बनाई रोटी खाएं। ब्रिटिशर्स के आने से पहले हम यही खाते थे। ये दिल के लिए ज्यादा फायदेमंद हैं। आम, केला, चीकू जैसे ज्यादा मीठे फल कम खाएं। इनके बजाय पपीता, कीवी, सेवफल, संतरा जैसे कम मीठे फल खाएं।
हर दिन चार किमी तेज चहलकदमी करें। यह इतनी तेज होनी चाहिए कि आप 30 से 35 मिनट में चार किमी कवर कर सकें। इसमें आपकी हार्ट रेट कम से कम सामान्य से डेढ़ गुनी होनी चाहिए। इससे पूरा कार्डियोवैस्कुलर सिस्टम स्वस्थ रहेगा।
तली हुई और मीठी चीजों को भले ही पूरी तरह अवॉइड न करें, लेकिन कम जरूर करें। अगर आपने एक गुलाब जामुन खा लिया है तो फिर कम से कम एक सप्ताह तक और कोई मीठी चीज न खाएं या चाय में चीनी की मात्रा कम करके उसकी भरपाई करें।
सप्ताह में पांच दिन 45 मिनट तक कसरत करें (वॉकिंग भी करेंगे तो और बेहतर रहेगा)। इससे वजन को काबू में कर सकेंगे। दिल की बीमारियों की एक बड़ी वजह मोटापा है। फिटनेस को इस स्तर पर लाने का प्रयास करें कि सीधे खड़े होने पर जब आप नीचे नजरें करें तो बेल्ट का बक्कल दिखे।
एक व्यक्ति का जो भी आदर्श वजन होना चाहिए, उससे 10 प्रतिशत से ज्यादा न हो। 10 प्रतिशत से जितना ज्यादा वजन होगा, दिल की बीमारियां होने की आशंका उतनी ही बढ़ जाएगी। आदर्श वजन मास बॉडी इंडेक्स से निकाला जा सकता है।
धूम्रपान पूरी तरह छोड़ दें। लगातार धूम्रपान करने से उसका धुआं धमनियों की लाइनिंग को कमजोर करता है। इससे धमनियों में वसा के जमा होने की आशंका और भी बढ़ जाती है। इसी तरह अल्कोहल का कम से कम सेवन करें। छोड़ देंगे तो आपके लिए सबसे बेहतर रहेगा।
रोजाना रात को कम से कम 7 घंटे सोएं, 8 घंटे सोएंगे तो और बेहतर रहेगा। जल्दी सोएं और जल्दी उठें। रात 10 से सुबह 6 बजे तक सोने का आदर्श समय है। इससे शरीर नाइट साइकिल में बेहतर आराम कर सकेगा। दिल को भी पूरा आराम मिलेगा।
सभी तरह का खाना खा सकते हैं, लेकिन लिमिट में। जितनी भूख है, उससे 20 फीसदी कम खाएं। घर में वजन मापने की डिजिटल मशीन रखें। रोजाना सुबह के समय वजन चेक करें। अगर कल की तुलना में वजन ज्यादा है तो उसे आज ही खाने से या व्यायाम से मेंटेन करें। कल पर न छोड़ें।
अगर वॉकिंग या कसरत करने का समय नहीं मिल पा रहा है तो भी दूसरे तरीके से कैलोरी बर्न कर सकते हैं। रुटीन के दौरान हल्के-फुल्के व्यायाम करें। जैसे चाय बना रहे हैं तो उस समय 4-5 मिनट में हल्की-फुल्की वर्जिश कर लें।
अगर आपको एक-डेढ़ किमी दूर जाना है और आपके पास समय है (अधिकांश केवल खराब समय प्रबंधन के कारण ही समय नहीं निकाल पाते) तो पैदल ही जाइए और पैदल ही आइए। दिल के लिए इससे बेहतर कुछ नहीं हो सकता। तीन मंजिल तक रहने वाले लोग पैदल ही सीढ़ियां चढ़ें और उतरें।