Saturday, September 26, 2020

जर्मनी के वैज्ञानिकों ने लैब में बनाई कोरोना से लड़ने वाली सबसे असरदार एंटीबॉडी, चूहे पर सफलता के बाद अब इंसानों को देने की तैयारी

जर्मनी के वैज्ञानिकों ने ऐसी एंटीबॉडी की खोजी है जो कोरोना से लड़ने में असरदार है। इस एंटीबॉडी से पैसिव वैक्सीन तैयार की जा सकती है। पैसिव वैक्सीन के तहत वैज्ञानिक इस एंटीबॉडी को कोरोना पीड़ित के शरीर में पहुंचाएंगे। यह उन्हें कोरोना से लड़ने में मदद करेगी।

600 तरह की एंटीबॉडीज से इसे अलग किया

रिसर्च करने वाले जर्मन सेंटर फॉर न्यूरोडिजेनेरेटिव डिसीज के वैज्ञानिकों ने कोरोना से उबर चुके लोगों के खून से 600 तरह की एंटीबॉडीज अलग कीं। लैब में टेस्ट के बाद पता चला कि इनमें से कुछ एक्टिव एंटीबॉडीज कोरोना से लड़ने में असरदार साबित हो सकती हैं। उनसे एक एंटीबॉडी को लैब में सेल कल्चर की मदद से कृत्रिम रूप तैयार किया।

ऐसे काम करती है यह एंटीबॉडी
रिसर्चर्स का कहना है कि जो न्यूट्रिलाइजिंग एंटीबॉडी लैब में तैयार की गई है वो कोरोना को बांधने का काम काम करती है। यह कोरोना को शरीर में घुसने और बढ़ने की प्रक्रिया पर रोक लगाती है। रिसर्च में दावा किया गया है कि इस एंटीबॉडी की मदद से शरीर की इम्यून कोशिकाएं कोरोना को खत्म कर देती हैं।

चूहों पर असरदार साबित हुई
इस एंटीबॉडी का चूहों पर सकारात्मक असर हुआ है। असर दो तरह से दिखा है। पहला, जो चूहे कोरोना से संक्रमित थे, उनमें इस एंटीबॉडी का हल्का असर दिखा। दूसरा, जिन चूहों में संक्रमण से पहले ये एंटीबॉडी डाली गईं वो बिल्कुल स्वस्थ रहे।

जर्नल सेल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, चूहों में मौजूद कोशिकाएं इंसानी कोशिकाओं से मिलती जुलती हैं, इसलिए इस एंटीबॉडी को मरीजों के लिए भी प्रभावी मनाया गया है।

क्या होती है एंटीबॉडी

ये प्रोटीन से बनीं खास तरह की इम्यून कोशिकाएं होती हैं जिसे बी-लिम्फोसाइट कहते हैं। जब भी शरीर में कोई बाहरी चीज (फॉरेन बॉडीज) पहुंचती है तो ये अलर्ट हो जाती हैं। बैक्टीरिया या वायरस के विषैले पदार्थों को निष्क्रिय करने का काम यही एंटीबॉडीज करती हैं। इस तरह ये शरीर को प्रतिरक्षा देकर हर तरह के रोगाणुओं के असर को बेअसर करती हैं।



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Coronavirus Antibodies and COVID-19 Passive Vaccination | Here's Latest Research Updates From Germany Scientists


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