Friday, September 25, 2020

सिर्फ रोजाना दौड़ने से 40 फीसदी तक कम किया जा सकता है स्ट्रोक का खतरा लेकिन दौड़ने का तरीका जानना जरूरी

कई रिसर्च में इस बात की पुष्टि हुई है कि दौड़ने से हृदय की कार्यप्रणाली बेहतर बनी रहती है। जो लोग नियमित रूप से रनिंग करते हैं, उनमें कोरोनरी हार्ट डिसीज और स्ट्रोक (धमनियों में ब्लॉकेज से हार्ट प्रॉब्लम) होने की आशंका 30 से 40 प्रतिशत तक कम हो जाती है।

दौड़ने से हमारा शरीर तेज हार्ट बीट के साथ तालमेल बिठाता है, इसलिए तनाव या किसी स्ट्रोक के समय जब हार्ट बीट तेज हो जाती है तो हमारे कार्डियोवस्कुलर सिस्टम पर निगेटिव असर नहीं पड़ता। हालांकि रनिंग के जहां कई फायदे हैं, वहीं कुछ बातों का ध्यान रखना भी जरूरी है, वरना यह जोखिमभरा भी हो सकता है। हेल्थ राइटर डॉ. एसएस सिबिया से जानिए, दौड़ने के लिए किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है...

दौड़ने के लिए इन टिप्स को करें फॉलो

1. धीमी गति से शुरुआत करें

अगर आपको दौड़ने की आदत नहीं है तो इसकी शुरुआत करने से पहले अपने डॉक्टर की राय जरूर ले लेना चाहिए। डॉक्टर अगर सलाह देते हैं, तब भी शुरुआत ब्रिस्क वॉकिंग से करें और उसके बाद रनिंग शुरू करें। पहली बार दौड़ने के बाद अपने अनुभवों को एक कागज पर लिखें कि आप किस गति से दौड़े, कितनी दूरी तक दौड़े और आपने क्या महसूस किया। शुरुआत धीमी गति से करें, जॉगिंग जैसी। फिर उसी गति को पहले सप्ताह मेंटेन रखें। इसके बाद के सप्ताहों में अपनी गति को थोड़ा-थोड़ा बढ़ाते जाएं। लेकिन इसे भी एक सीमा तक ही रखें।

2. सप्ताह में पांच दिन ही दौड़ें

अगर आपकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है, तो सप्ताह में 5 दिन ही दौड़ें। दो दिन शरीर को आराम दें। आराम वाले दिन आप चाहे तो वॉक कर सकते हैं या घर पर ही हल्की एक्सरसाइज। एक सवाल अक्सर पूछा जाता है कि हमें कितना दौड़ना चाहिए। तो इसका कोई एक नियम नहीं है। बस अपने शरीर की सुनें। आपका शरीर ही सबकुछ बता देगा कि आपके लिए कितना दौड़ना, किस दूरी तक दौड़ना और किस गति से दौड़ना सही है। अगर दौड़ते समय थोड़ी सी भी थकान महसूस करें या दौड़ने में परेशानी आए तो तुरंत आराम करें। ज्यादा दिक्कत हो तो डॉक्टर से संपर्क करने में भी न हिचकें।

3. ये टेस्ट जरूर करवाएं

जिन लोगों को हृदय से संबंधित किसी भी प्रकार की समस्या है, तो उन्हें यह जानने के लिए कि वे रनिंग कर सकते हैं या नहीं, इसके लिए कुछ टेस्ट जरूर करवाने चाहिए। जैसे- ट्रेड मिल टेस्ट (टीमएटी), ईसीजी टेस्ट और इकोकार्डियोग्रॉफी। हृदय रोग से पीड़ित लोगों द्वारा ज्यादा रनिंग करने से हार्ट अटैक या हार्ट फेलियर हो सकता है, खासकर उन्हें जो नियमित रूप से एक्सरसाइज नहीं करते हैं। जिनमें लिपिड संबंधी गड़बड़ियां हैं, हाई बीपी की समस्या है या जिन्हें डायबिटीज है या जो स्मोकिंग करते हैं, उनके लिए भी दौड़ने में खतरा और बढ़ जाता है।

4. इन बातों का रखें ख्याल

  • मौसम के अनुसार सावधानी बरतें, जैसे गर्मियों में शरीर में पानी की कमी न होने दें और सर्दियों में अपनी मसल्स को वार्मअप के जरिए गर्म रखें। वैसे रनिंग से पहले हमेशा ही वार्म-अप करें।
  • बगैर जूते के बिल्कुल भी नहीं दौड़ें। ऐसे जूते खरीदें जो खासकर रनिंग के लिए ही बने हों, पैरों में अच्छी तरह फिट आते हों और दौड़ते समय पैरों को अच्छा सपोर्ट दें।
  • ऐसे स्थानों पर न दौड़ें जहां गाड़ियों की आवाजाही अधिक हो, क्योंकि इनसे निकलने वाले धुएं से कार्डियोवस्कुलर और श्वसन तंत्र संबंधी समस्याएं हो सकती हैं।
  • अगर आप शाम के समय रनिंग करना चाह रहे हैं तो इवनिंग स्नैक्स और रनिंग के बीच कम से कम दो घंटे का गेप रखिए, खाकर अगर स्नैक्स में कार्बोहाइड्रेट हों। ऐसा न करने पर खाई हुई चीज ठीक से पच नहीं पाएंगी।


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The risk of stroke can be reduced by 40 percent by just running daily, but it is important to know how to run


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