Sunday, May 31, 2020

वैज्ञानिकों का नया दावा- वुहान वेट मार्केट से नहीं फैला कोरोना, चीनी चमगादड़ों में पहले से मौजूद था वायरस

कोरोना महामारी के चार महीने के बादचीनी वैज्ञानिकों नेउस रिपोर्ट को खारिज कर दिया है, जिसमें दावा किया गया था कि कोरोनावायरस वुहान के वेट मार्केटसे फैला है। यहां के वैज्ञानिकों का कहना है कि वेट मार्केट का रोल एक सुपर स्प्रेडर की तरह है, न कि किसीसोर्स की तरह। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन की इसे लेकर अभी कोई टिप्पणी नहीं आई है।

वुहान इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी के विशेषज्ञों ने रिपोर्ट का खंडन करते हुए कहा, कोरोना के संक्रमण का पहला मामला वुहान की बाजार से नहीं आया है। महामारी की शुरुआत में शोधकर्ताओं की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि कोरोना वुहान के हुनान स्थित सी-फूड मार्केट से फैला। इसे अब चीनी वैज्ञानिकों ने इसे फिरनकार दिया है।

डीएनए सबूतों में चमगादड़-पैंगोलिन पर शक

वैज्ञानिकों ने डीएनए सबूतों के आधार पर दावा किया है कि नोवल कोरोनावायरस Sars-CoV2 चीनी चमगादड़ों में पहले से मौजूद था। इंसानों में इसके आने में किसी बीच के वाहक जानवर की भूमिका हो सकती है और इसमें पैंगोलिन पर सबसे ज्यादा शक है।

चीन के सीडीसी ने भी दिया जवाब
वॉल स्ट्रीट जर्नल में प्रकाशित रिपोर्ट के मुताबिक, चीन के सेंटर्स फॉर डिसीज कंट्रोल एंड प्रिवेंशन (सीडीसी) के डायरेक्टर गाओ फू का कहना है कि वुहान के पशु बाजार से दोबारा सैम्पल लेने के बाद रिपोर्ट निगेटिव आई है। यह बताता है कि यहां के दुकानदार संक्रमित नहीं हुए।

1 जनवरी को मार्केट बंद करा दी गई थी
वुहान प्रशासन ने डब्ल्यूएचओ को 31 दिसम्बर को निमोनिया की तरह दिखने वाले अलग किस्म के लक्षणों के बारे में बताया था, जो बाद में कोरोनावायरस के लक्षण के तौर पर पहचाना गया। शुरुआत में वुहान की मार्केट से कोरोना के 41 मामलों को जोड़ा गया। इसके बाद 1 जनवरी से मार्केट को बंद करा दिया गया था।

सार्स में भी ऐसे ही बाजार से फैला था संक्रमण
अमेरिका की जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता प्रो. कोलिन कार्लसन के मुताबिक, 2002 और 2003 में आई सार्स महामारी के समय भी गुआंगडॉन्ग के एक ऐसे ही बाजार से संक्रमण फैला था। लेकिन, जांच के दौरान वुहान के बाजार में एक भी जानवर कोरोना पॉजिटिव नहीं मिला। अगर वो संक्रमित नहीं हुए तो इसका मतलब है कि उन्हें कोई ऐसा सम्पर्क नहीं मिला जिससे मामले फैलें।

विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी आशंका जताई थी
हाल ही में वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गनाइजेशन ने कहा था कि यह साफ है कि कोरोनावायरस के संक्रमण में वुहान की मीट मार्केट ने भूमिका रही है, लेकिन इस मामले में अभी और रिसर्च की जरूरत है। डब्ल्यूएचओ ने कहा कि या तो वुहान के मार्केट से यह वायरस विकसित हुआ या फिर यहां से इसका फैलाव हुआ है। चीन के अधिकारियों ने जनवरी में इस मार्केट को बंद कर दिया था, इसके साथ ही वन्यजीवों के व्यापार में अस्थायी प्रतिबंध भी लगा दिया था।

पहला मामला वुहान की झींगा बेचने वाली महिला में सामने आया था

मार्च में मीडिया रिपोर्ट में कोविड-19 की पहली संक्रमित महिला के स्वस्थ होने का मामला सामने आया है। 57 वर्षीय महिला चीन के वुहान में झींगेबेचती थी। वेई गुझियान को पेशेंट जीरो बताया गया था। पेशेंट जीरो वह मरीज होता है, जिसमें सबसे पहले किसी बीमारी के लक्षण देखे जाते हैं। खास बात यह है कि करीब एक महीने चले इलाज के बाद यह महिला पूरी तरह से ठीक हो चुकी थी।

वुहान वेट मार्केट में10 दिसंबर की घटना
द वॉल स्ट्रीट जर्नल ने अपनी रिपोर्ट में बताया था कि यह महिला उस समय संक्रमित हुई, जब वह वुहान के हुआन सी-फूड मार्केट में 10 दिसंबर को झींगे बेच रही थीं। इसी दौरान उसने एक पब्लिक वॉशरूमका इस्तेमाल किया थाऔर इसके बाद उसे बुरी तरह से सर्दी-जुकाम ने जकड़ लिया।



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चीनी कम्पनी सिनोवेट ने कहा- हम 99% सफल होंगे, लेकिन ट्रायल के लिए हमारे यहां अब मरीज नहीं मिले रहे

चीन मेंबायोटेक कम्पनी सिनोवेट ने कोरोनावायरस की वैक्सीन बनाने की दिशा में काफी आगे बढ़ चुकीहै, लेकिन उसे ट्रायल के लिए मरीज नहीं मिल रहे हैं। कम्पनी का दावा है कि उसका वैक्सीन99 फीसदी तकअसरदार साबित होगा। बायोटेक कम्पनी सिनोवेट का कहना है कि हमने वैक्सीन के 100 मिलियन डोज तैयार करने का लक्ष्य रखा है।

वैक्सीन का नाम रखा कोरोनावेक
एकेडमिक जर्नल साइंस में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कम्पनी ने वैक्सीन का नाम "कोरोनावेक" रखा है। ट्रायल में पाया गया है कियह बंदर को कोरोनावायरस से सुरक्षित रखती है। शोधकर्ता का कहना है कि अगले दौर के ट्रायल के लिए चीन में कोविड-19 के मरीजों की संख्या काकम होना सबसे बड़ी समस्या है।

तीसरे दौर के ट्रायल के लिए ब्रिटेन से बातचीत जारी
कम्पनी अपने दूसरे दौर का ट्रायल कर रही है जिसमें 1 हजार वॉलंटियरोंको शामिल किया गया है। वैक्सीन का तीसरा ट्रायल ब्रिटेन में किया जाना है और इसके लिए बातचीत चल रही है। शोधकर्ता लुओ बायशन का कहना है कि मैं 99 फीसदी तक निश्चिंत हूं कि ये वैक्सीन कारगर साबित होगी।

तस्वीर बायोटेक कम्पनी सिनोवेट के लैब की है जहां दूसरे चरण का ट्रायल चल रहा है।

हाई रिस्क जोन वालों को प्राथमिकता
कम्पनी के सीनियर डायरेक्टर हेलेन येंग का कहना है कि हम तीसरे दौर के ट्रायल के लिए ब्रिटेन और यूरोपीय देश से बातचीत कर रहे हैं। अभी यह शुरुआती दौर में है। वैक्सीन के प्रोडक्शन से पहले रिसर्च पूरी होना बेहद जरूरी है। इसके ट्रायल में सफल होने पर अप्रूवल के बाद सबसे पहले उन्हें दी जाएगी, जो हाई रिस्क जोन में हैं।

इधर, ऑक्सफोर्ड ब्रिटेन को पहले वैक्सीन देने की तैयारी में
दुनियाभर के वैज्ञानिक वैक्सीन तैयार करने की रेस में हैं। वैक्सीन तैयार होने के बाद भी सभी देशों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा है, बड़े स्तर पर इसे तैयार करना और उपलब्ध कराना। देश अपनी ही जनसंख्या में कैसे वैक्सीन देने की प्राथमिकता तय करेंगे। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के साथ मिलकर वैक्सीन तैयार कर रही ड्रग कम्पनी एस्ट्राजेने का का कहना है कि ब्रिटेन पहला देश होगा, जिसे सबसे पहले हमारी वैक्सीन मिलेगी।



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सिगरेट-तंबाकू से कमजोर न करें अपने फेफड़े, इस बुरी आदत को छोड़ने के लिए सबसे अच्छा मौका है लॉकडाउन

आज वर्ल्ड नो टोबैको डे है। इस साल की थीम है युवाओं को तम्बाकू और निकोटीन के दूर रखने के साथ उन झांसों से भी बचाना, जिससेकम्पनियां उन्हें धूम्रपान करने के लिए आकर्षित करती है। तम्बाकू से कमजोर हुए फेफड़े कोरोनावायरस को संक्रमण का दायरा बढ़ाने में मुफीद साबित हो रहे हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्लयूएचओ) और शोधकर्ताओं ने भी चेतावनी दी है।

एक सर्वे कहता है, 27 फीसदी टीनएजर्स ई-सिगरेट पीते हैं। उनका मानना है कि ये स्मोकिंग नहीं सिर्फ फ्लेवर है और सेहत के लिए खतरनाक नहीं। इस पर मेदांता की विशेषज्ञ डॉ. सुशीला का कहना है, यह एक गलतफहमी है, वैपिंग भी सिगरेट पीने जितना खतरनाक है।

वर्ल्ड नो टोबैको डे पर जानिए कोरोना और तम्बाकू का कनेक्शन, इस मुद्देपर डब्ल्यूएचओ और मेदांता हॉस्पिटल के इंटरनल मेडिसिन डिपार्टमेंट की डायरेक्टर डॉ. सुशीला कटारिया की सलाह

लॉकडाउन तम्बाकू छोड़ने का सबसे अच्छा समय
डॉ. कटारिया कहती हैं, तम्बाकू छोड़ने के लिए लॉकडाउन सबसे अच्छा समय है। तम्बाकू छोड़ने के लिए कम से कम 41 दिन का समय चाहिए होता है। अगर तीन महीने तक कोई तम्बाकू नहीं लेता या स्मोकिंग नहीं करता तो वापस इसे शुरू करने की आशंका 10 फीसदी से भी कम रह जाती है। आप लॉकडाउन के दौरान दुनिया के सबसे बड़े एडिक्शन से पीछा छुड़ा सकते हैं।

टीनएजर्स में सिगरेट से ज्यादा आसान ई-सिगरेट की लत पड़ना
कुछ लोग कहते हैं हम तो सिगरेट नहीं ई-सिगरेट पी रहे हैं और इसका बुरा प्रभाव नहीं पड़ता। इस पर डॉ. सुशीला कटारिया का कहना है कि ई-सिगरेट में खासतौर पर एक लिक्विड होता है, जिसमें अक्सर निकोटिन के साथ दूसरे फ्लेवर होते हैं। हमे इसकी लत लग जाती है और फेफड़े भी डैमेज होते हैं।

इन दिनों यह कई फ्लेवर में उपलब्ध हैं ऐसे में बच्चों में इसकी लत लगना सिगरेट से भी ज्यादा आसान है। ई-सिगरेट की आदत पड़ने के बाद सिगरेट और तम्बाकू की लत पड़ना काफी आसान हो जाता है, ऐसा कई शोध में भी सामने आया है।

4 सवालों में डब्ल्यूएचओ की नसीहत : तम्बाकू हर रूप में है खतरनाक और संक्रमण का खतरा भी बढ़ाता है

Q-1) मैं स्मोकिंग करता हूं, क्या मुझे कोरोना का गंभीर संक्रमण हो सकता है?
डब्ल्यूएचओ : स्मोकिंग और किसी भी रूप में तम्बाकू लेने पर सीधा असर फेफड़े के काम करने की क्षमता पर पड़ता है और सांस लेने से जुड़ी बीमारियां बढ़ती हैं। संक्रमण होने पर कोरोना सबसे पहले फेफड़े पर अटैक करता है, इसलिए इसका मजबूत होना बेहद जरूरी है। वायरस फेफड़े की कार्यक्षमता को घटाता है। अब तक कि रिसर्च के मुताबिक धूम्रपान करने वाले लोगों में वायरस का संक्रमण और मौत दोनों का खतरा ज्यादा है।

Q-2) मैं स्मोकिंग नहीं करता सिर्फ तम्बाकू लेता हूं तो संक्रमण का कितना खतरा है?
डब्ल्यूएचओ : यह आदत आपके और दूसरे, दोनों के लिए खतरनाक है। तम्बाकू लेने के दौरान हाथ मुंह को छूता है। यह भी संक्रमण का जरिया है और कोरोना हाथ के जरिए मुंह तक पहुंच सकता है। या हाथों में मौजूद कोरोना तम्बाकू में जाकर मुंह तक पहुंच सकता है। तम्बाकू चबाने के दौरान मुंह में अतिरिक्त लार बनती है, ऐसे में जब इंसान थूकता है तो संक्रमण दूसरों तक पहुंच सकता है। इतना ही नहीं, इससे मुंह, जीभ, होंठ और जबड़ों का कैंसर भी हो सकता है।

Q-3) स्मोकिंग के अलग-अलग तरीकों से कैसे कोविड-19 का खतरा कितना बढ़ता है?
डब्ल्यूएचओ : सिगरेट, सिगार, बीड़ी, वाटरपाइप और हुक्का पीने वाले कोविड-19 का रिस्क ज्यादा है। सिगरेट पीने के दौरान हाथ और होंठ का इस्तेमाल होता है और संक्रमण का खतरा रहता है। एक ही हुक्का को कई लोग इस्तेमाल करते हैं जो कोरोना का संक्रमण सीधेतौर पर एक से दूसरे इंसान में पहुंचा जा सकता है।

Q-4) स्मोकिंग या धूम्रपान छोड़ने पर शरीर में कितना बदलाव आता है?
डब्ल्यूएचओ : इससे छोड़ने के 20 मिनट के अंदर बढ़ी हुई हृदय की धड़कन और ब्लड प्रेशर सामान्य होने लगता है। 12 मिनटबाद शरीर के रक्त में मौजूद कार्बन मोनो ऑक्साइड का स्तर घटने लगता है। 2 से 12 हफ्तों के अंदर फेफड़ों के काम करने की हालत में सुधार होता है। 1 से 9 माह के अंदर खांसी और सांस लेने में होने वाली तकलीफ कम हो जाती है।

कितना दम घोट रहा तम्बाकू
तम्बाकू से दुनियाभर में हर साल 80 लाख से अधिक लोगों की मौत हो रही है। इनमें 70 लाख मौत सीधेतौर पर तम्बाकू लेने वालों की हो रही हैं और दुनिया छोड़ने वाले करीब 12 लाख ऐसे लोग हैं जो धूम्रपान करने वालों के आसपास होने के कारण प्रभावित हुए।

बीमार और स्वस्थ फेफड़ों के बीच फर्क बताता यह वीडियो आपको अलर्ट रखने के लिए काफी है



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Coronavirus Tobacco | World No-Tobacco Day 2020/Coronavirus and COVID-19 Connection Updates; Smoking are More at Risk Of Corona


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लॉकडाउन में इंसान का अकेलापन दूर कर रहे जानवर, देखें दुनिया भर में इनके बीच कैसे पनप रहे नए रिश्ते

अधिकतर देशों में भले ही धीरे-धीरे लॉकडाउन खुलना शुरू हो गया हो। लेकिन, अभी भी बड़ी संख्या में लोग या तो वर्क फ्रॉम होम पर हैं, या फिर उस सेक्टर से ताल्लुक रखते हैं, जिसे लॉकडाउन में भी शुरू होने की छूट नहीं मिली है। घर में अकेले समय बिताना आसान नहीं है। लेकिन, लॉकडाउन में दूसरे इंसानों से दूर रहना मना है, अन्य जीवों से नहीं। धरती पर और भी जीव हैं, जो लॉकडाउन में आपके अकेलेपन को दूर कर सकते हैं। लोग ऐसा कर भी रहे हैं। यही वजह है कि दुनिया भर में जानवरों और इंसानों के बीच एक नया रिश्ता पनपता हुआ देखा जा सकता है।
जानें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद उन लोगों की कहानियां जो कई तरह केजीवों के साथ खुशी से अपना लॉकडाउन बिता रहे हैं।

इसइंजीनियर ने गिलहरियों के लिए खाने के साथ एक्टिविटीज का भी किया इंतजाम

नासा और एप्पल में इंजीनियर रह चुके मार्क रॉबर जब अपने गार्डन में पक्षियों के लिए खाना रखते, तो पूरा खानाअकेले गिलहरियां ही चट कर जाती थीं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मार्क ने अपने घर के बैकयार्ड में गिलहरियों के लिए एक सैट तैयार किया। इसमें अपने पसंदीदा खाने तक पहुंचने के लिए गिलहरियों को कई ऑब्सटेकल्स ( बाधाएं) पार करने होते हैं। गिलहरियां आश्चर्यजनक रूप से इन बाधाओं को पार करके खाने तक पहुंच भी रही हैं। इससे जुड़ा वीडियो भी मार्क ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसे खूब पसंद किया जा रहा है।

गिलहरियों के लिए इस तरह के कई ऑब्सटेकल्स बनाए गए हैं

ऑब्सटेकल्स बनाने के लिए मार्क ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की स्किल्स का भरपूर उपयोग किया है।

कड़ी मेहनत के बाद आखिर खाने तक पहुंच ही गए
गिलहरियों का अधिकतर समय अब खाने के लिए मशक्कत करने में गुजरता है। इससे पक्षियों का खाना सुरक्षित रहता है।


रॉबिन बर्ड का आशियाना बनाकर खुद को एंग्जाइटी से बाहर ला रहे डॉन एस्परै
मूल रूप से अमेरिका और यूरोप में पाई जाने वाली सॉन्ग बर्ड, जिसका नाम है रॉबिन बर्ड। जितनी खूबसूरत चिड़िया होती है, उतने ही अनोखे इसके अंडे भी होते हैं। पहली नजर में देखने पर लगता है कि किसी ने सफेद अंडों पर नीला रंग पोत दिया है। लेकिन, इनका प्राकृतिक रंग ऐसा ही है। डॉन एस्परै लंबे समय से अपने घर में कई तरह की बर्ड्स का जन्म होते देखते आए हैं। लेकिन इस बार रॉबिन बर्ड्स का यह परिवार उनके लिए कुछ खास है। बर्ड्स का परिवार बनते देखने का सुखद अहसास उन्हें एंग्जाइटी से बाहर निकलने में मदद कर रहा है।

डॉन एस्परे खुद को व्यस्त रखने के लिए घर के पास स्थित पेड़ों को अपनी क्रिएटिविटी के जरिए इस तरह सजाकर खूबसूरत बनाते हैं। यह पेड़ पक्षियों के साथ पड़ोसियों को भी आकर्षित कर रहे हैं।

डेरिल ग्रेंजर और उनकी पत्नि करेन फोटोग्राफर हैं। एक दिन बैकयार्ड में बैठे हुए उन्हें ख्याल आया कि क्यों न गिलहरियों के लिए एक बेहतरीन सैट बनाया जाए। कनाडा के इस कपल ने तीन सुपरमार्केट नुमा सैट बनाए हैं। जहां गिलहरियों के खाने-पीने के सामान को सुपरमार्केट की तर्ज पर सजाया गया है।

गिलहरियों के आते ही दोनों फोटोग्राफर का फोटोशूट शुरू हो जाता है।
गिलहरियों के अलावा सुपरमार्केट में अन्य मेहमान भी आ रहे हैं


रिक ने गिलहरियों के लिए बनाई पिकनिक टैबल
यूनाइटेड स्टेट्स के पेंसिलवेनिया में रहने वाले 43 वर्षीय रिक कलिनोव्स्कीने गिलहरियों के लिए अपने गार्डन में एक छोटी पिकनिक टेबल बनाई है। यहां एक साथ दो गिलहरियों के बैठने की व्यवस्था की गई है।

रिंक के दिन की शुरुआत गिलहरियों को टेबल पर नाश्ता सर्व करने के साथ होती है

10 साल पहले बर्ड्स के लिए बनाया गार्डन लॉकडाउन में दे रहा राहत
बर्ड्स के साथ समय बिताना चाहते हैं, तो सिर्फ उनके लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराना काफी नहीं है। बल्कि उनके अनुकूल माहौल भी तैयार करना होता है। 10 साल पहले इंग्लैंड के लैनकास्टर में रहने वाले जेट हैरिस ने अपने गार्डन को इस तरह से तैयार किया, जो बर्ड्स को आकर्षित करे। गौरेया, गोल्डफिंच, डननॉक और रॉबिन बर्ड्स के जोड़े नियमित रूप से जेट के गार्डन में आते हैं। लॉकडाउन में अलग यह हुआ है कि अब जेट अपने इन साथियों के साथ ज्यादा समय बिता पा रहे हैं।

फोटो सोर्स : द गार्जियन


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In the lockdown, animals who are removing human loneliness, see how the new relationship between these two is flourishing across the world


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Saturday, May 30, 2020

लॉकडाउन में इंसान का अकेलापन दूर कर रहे जानवर, देखें दुनिया भर में इनके बीच कैसे पनप रहे नए रिश्ते

अधिकतर देशों में भले ही धीरे-धीरे लॉकडाउन खुलना शुरू हो गया हो। लेकिन, अभी भी बड़ी संख्या में लोग या तो वर्क फ्रॉम होम पर हैं, या फिर उस सेक्टर से ताल्लुक रखते हैं, जिसे लॉकडाउन में भी शुरू होने की छूट नहीं मिली है। घर में अकेले समय बिताना आसान नहीं है। लेकिन, लॉकडाउन में दूसरे इंसानों से दूर रहना मना है, अन्य जीवों से नहीं। धरती पर और भी जीव हैं, जो लॉकडाउन में आपके अकेलेपन को दूर कर सकते हैं। लोग ऐसा कर भी रहे हैं। यही वजह है कि दुनिया भर में जानवरों और इंसानों के बीच एक नया रिश्ता पनपता हुआ देखा जा सकता है।
जानें दुनिया के अलग-अलग हिस्सों में मौजूद उन लोगों की कहानियां जो कई तरह केजीवों के साथ खुशी से अपना लॉकडाउन बिता रहे हैं।

इसइंजीनियर ने गिलहरियों के लिए खाने के साथ एक्टिविटीज का भी किया इंतजाम

नासा और एप्पल में इंजीनियर रह चुके मार्क रॉबर जब अपने गार्डन में पक्षियों के लिए खाना रखते, तो पूरा खानाअकेले गिलहरियां ही चट कर जाती थीं। इस समस्या से छुटकारा पाने के लिए मार्क ने अपने घर के बैकयार्ड में गिलहरियों के लिए एक सैट तैयार किया। इसमें अपने पसंदीदा खाने तक पहुंचने के लिए गिलहरियों को कई ऑब्सटेकल्स ( बाधाएं) पार करने होते हैं। गिलहरियां आश्चर्यजनक रूप से इन बाधाओं को पार करके खाने तक पहुंच भी रही हैं। इससे जुड़ा वीडियो भी मार्क ने सोशल मीडिया पर शेयर किया है, जिसे खूब पसंद किया जा रहा है।

गिलहरियों के लिए इस तरह के कई ऑब्सटेकल्स बनाए गए हैं

ऑब्सटेकल्स बनाने के लिए मार्क ने मैकेनिकल इंजीनियरिंग की स्किल्स का भरपूर उपयोग किया है।

गिलहरियों का अधिकतर समय अब खाने के लिए मशक्कत करने में गुजरता है। इससे पक्षियों का खाना सुरक्षित रहता है।

कड़ी मेहनत के बाद आखिर खाने तक पहुंच ही गए


रॉबिन बर्ड का आशियाना बनाकर खुद को एंग्जाइटी से बाहर ला रहे डॉन एस्परै
मूल रूप से अमेरिका और यूरोप में पाई जाने वाली सॉन्ग बर्ड, जिसका नाम है रॉबिन बर्ड। जितनी खूबसूरत चिड़िया होती है, उतने ही अनोखे इसके अंडे भी होते हैं। पहली नजर में देखने पर लगता है कि किसी ने सफेद अंडों पर नीला रंग पोत दिया है। लेकिन, इनका प्राकृतिक रंग ऐसा ही है। डॉन एस्परै लंबे समय से अपने घर में कई तरह की बर्ड्स का जन्म होते देखते आए हैं। लेकिन इस बार रॉबिन बर्ड्स का यह परिवार उनके लिए कुछ खास है। बर्ड्स का परिवार बनते देखने का सुखद अहसास उन्हें एंग्जाइटी से बाहर निकलने में मदद कर रहा है।

डॉन एस्परे खुद को व्यस्त रखने के लिए घर के पास स्थित पेड़ों को अपनी क्रिएटिविटी के जरिए इस तरह सजाकर खूबसूरत बनाते हैं। यह पेड़ पक्षियों के साथ पड़ोसियों को भी आकर्षित कर रहे हैं।

गिलहरियों को लुभाने, घर पर बनाया सुपरमार्केट

डेरिल ग्रेंजर और उनकी पत्नि करेन फोटोग्राफर हैं। एक दिन बैकयार्ड में बैठे हुए उन्हें ख्याल आया कि क्यों न गिलहरियों के लिए एक बेहतरीन सैट बनाया जाए। कनाडा के इस कपल ने तीन सुपरमार्केट नुमा सैट बनाए हैं। जहां गिलहरियों के खाने-पीने के सामान को सुपरमार्केट की तर्ज पर सजाया गया है।

गिलहरियों के आते ही दोनों फोटोग्राफर का फोटोशूट शुरू हो जाता है।
गिलहरियों के अलावा सुपरमार्केट में अन्य मेहमान भी आ रहे हैं
सभी प्रोडक्ट्स पर प्राइज टैग भी लगे हैं, जिससे यह बिल्कुल असली लगे।
दो सुपरमार्केट बन चुके हैं, तीसरा अंडरकंस्ट्रक्शन है


रिक ने गिलहरियों के लिए बनाई पिकनिक टैबल
यूनाइटेड स्टेट्स के पेंसिलवेनिया में रहने वाले 43 वर्षीय रिक कलिनोव्स्कीने गिलहरियों के लिए अपने गार्डन में एक छोटी पिकनिक टेबल बनाई है। यहां एक साथ दो गिलहरियों के बैठने की व्यवस्था की गई है।

रिंक के दिन की शुरुआत गिलहरियों को टेबल पर नाश्ता सर्व करने के साथ होती है

10 साल पहले बर्ड्स के लिए बनाया गार्डन लॉकडाउन में दे रहा राहत
बर्ड्स के साथ समय बिताना चाहते हैं, तो सिर्फ उनके लिए पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराना काफी नहीं है। बल्कि उनके अनुकूल माहौल भी तैयार करना होता है। 10 साल पहले इंग्लैंड के लैनकास्टर में रहने वाले जेट हैरिस ने अपने गार्डन को इस तरह से तैयार किया, जो बर्ड्स को आकर्षित करे। गौरेया, गोल्डफिंच, डननॉक और रॉबिन बर्ड्स के जोड़े नियमित रूप से जेट के गार्डन में आते हैं। लॉकडाउन में अलग यह हुआ है कि अब जेट अपने इन साथियों के साथ ज्यादा समय बिता पा रहे हैं।

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मेक्सिकन रेस्तरां ने कोरोनाबर्गर बनाया, मालिक ने कहा- ठप पड़े बिजनेस को रफ्तार देगा ये हरे रंग का बर्गर

कोलकाता में बनेकोरोनावायरस की शक्ल वालीसंदेश मिठाईके बाद अब कोरोनाबर्गर तैयार किया गया है। इसे मेक्सिको के एक रेस्तरां ने बनाया है। हरे रंग का बर्गर तैयार करने वाले रेस्तरां के मालिक रेने साउसेडो का कहना है कि महामारी के बाद व्यापार ठप पड़ा था।

कोविड थीम वाले बर्गर को पेश करने के बाद सभी इसे खाना चाहते हैं। इसे खरीदने के लिए ग्राहकों की संख्या में इजाफा हो रहा है। एक कोरोनाबर्गर की कीमत 300 रुपए है।

रेने के रेस्तरां का नाम हॉट-डॉग जंकोज है। उनका कहना है कि कोरोनाबर्गर में बीफ, मोजरेला चीज, प्याज, पालक, टमाटर, बॉरबन सॉस और एवेकाडो का इस्तेमाल किया गया है।
रेने के मुताबिक, यह आइडिया समान खरीदने आने वाले फ्रंटलाइन वर्कर के कारण आया जो इस बीमारी से लड़ते हुए अपनी जिम्मेदारी निभा रहे हैं।
39 वर्षीय रेने का कहना है कि एक दिन मैंने सोचा उन लोगों से मिलूं जो कोरोनावायरस की थीम वाला केक बना रहे हैं। मैंने उन्हें सुझाव दिया कि क्या वह हमारे लिए कोरोना की शक्ल वाली ब्रेड बना सकते हैं, उन्होंने अगले ही दिन वैसी ही ब्रेड बनाकर दे दी। ब्रेड तैयार होने के बाद कोरोनाबर्गर तैयार किया गया।
रेने के मुताबिक, कोरोनाबर्गर खरीदने आने वालों में ज्यादातर डॉक्टर और नर्स हैं जो इसे काफी सराह रहे हैं। लोग इसे मजाकिया नजरिए से देख रहे हैं और तारीफ भी कर रहे हैं।
रेने का कहना है कि उम्मीद है जैसे-जैसे महामारी का असर कम होगा बर्गर खाने वालों की मांग बढ़ेगी।


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Coronavirus Lockdown in Mexico News Updates; After Corona Sweet, now COVID Burger is prepared By Restaurant


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लंबी रिंग फिंगर वाले पुरुषों को मौत का खतरा कम, 41 देशों के पुरुषों पर हुई रिसर्च से पता चला

ब्रिटेन के शोधकर्ताओं ने कोरोना के संक्रमण और उंगुलियों के बीच एक कनेक्शन ढूंढ़ने का दावा कियाहै। उनका कहना है कि ऐसे पुरुष जिनकी रिंग फिंगर (अनामिका) लम्बी है उन्हें कोविड-19 से मौत का खतरा कम है।

डेली मेल की खबर के मुताबिक यह दावा ब्रिटेन की स्वानसी यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने 41 देशों के पुरुषों पर हुई रिसर्च के बाद किया है। शोधकर्ताओं के मुताबिक, छोटी रिंग फिंगर वाले पुरुषों में कोरोनावायरस के संक्रमण के बाद हल्के ही लक्षण देखे गए।


छोटी रिंग फिंगर वालों में मौत का खतरा 30% तक ज्यादा
शोधकर्ताओं ने जब उन देशों का अध्ययन किया जहां अधिकतर पुरुषों की रिंग फिंगर छोटी होती हैं। सामने आया कि वो देश कोरोना से सर्वाधिक मौतों के मामले में टॉप 3 में शुमार हैं। यहां अन्य देशों की तुलना में कोरोना से होने वाली मौतों का आंकड़ा 30% तक ज्यादा पाया गया।

कहां-कैसी है रिंग फिंगर
रिसर्च रिपोर्ट के अनुसार ब्रिटेन, बुल्गारिया और स्पेन उन 10 देशों में शामिल हैं, जहां अधिकतर पुरुषों की रिंग फिंगर छोटी होती है। वहीं मलेशिया, सिंगापुर और रूस में पुरुषों की रिंग फिंगर लंबी होती है। छोटी रिंग फिंगर वाले 10 देशों में कोरोना वायरस से लगभग 1 लाख लोगों में से 4.9 (एवरेज) कोविड- 19 से मौत हुई। वहीं लंबी रिंग फिंगर वाले देशों में यह आंकड़ा 2.7 है। यानी मौत का आंकड़ा लगभग 50% तक कम है।

सेक्स हार्मोन पर निर्भर है उंगली का लंबा होना
विशेषज्ञों के अनुसार गर्भ में अगर बच्चे के टेस्टोस्टेरॉन का विकास ज्यादा होता है, तो उसकी रिंग फिंगर लंबी होती है। टेस्टोस्टेरॉन पुरुषों का सेक्स हार्मोन होता है। यही शरीर में एसीई -2 रिसेप्टर्स की संख्या बढ़ाकर कोविड-19 से लड़ने में मदद करता है। हालांकि रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि इन रिसेप्टर्स की संख्या अधिक बढ़ने पर लंग्स के डैमेज होने का खतरा भी होता है।

कैसे चेक करें रिंग फिंगर छोटी है या लम्बी?
सबसे पहले अपनी इंडेक्स फिंगर (तर्जनी उंगली) को लंबाई को मिलीमीटर में नापें। इसके बाद अपनी रिंग फिंगर की लंबाई नापें। इंडेक्स फिंगर की लंबाई से रिंग फिंगर की लंबाई के आंकड़े को घटाएं। आपकी रिंग फिंगर छोटी है या लंबी, यह इंडेक्स फिंगर और रिंग फिंगर की लंबाई के अंतर के आधार पर तय होगा। अगर यह अंतर 0.976 या इससे कम है तो आपकी रिंग फिंगर लंबी है। अगर यह 0.99 या उससे ज्यादा है तो रिंग फिंगर छोटी है।

कोविड-19 के चलते महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की हो रही मौत
रिसर्च में शामिल किए गए आंकड़ों से यह स्पष्ट हुआ है कि कोविड-19 से महिलाओं से ज्यादा पुरुषों की मौत हो रही है। हालांकि फिलहाल वैज्ञानिक इसका कारण नहीं खोज पाए हैं। इंग्लैंड और वेल्स का ही उदाहरण लें, तो यहां प्रति 1 लाख लोगों में कोविड-19 से मरने वाले पुरुषों का एवरेज 97.5 है। वहीं महिलाओं का एवरेज 46.5 है।



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Coronavirus UK Latest Research Updates; Men Longer Ring Fingers Are At Lower Risk Of Death From COVID


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Friday, May 29, 2020

हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन का कॉम्बिनेशन कोरोना मरीजों के लिए हो सकता है जानलेवा, अमेरिकी शोधकर्ताओं ने दी चेतावनी

कोरोना के मरीजों को दी जाने वाली ड्रग हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन उनके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। यह दावा अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दोनों ही दवाएं एक साथ दें या अलग-अलग, दोनों ही स्थितियों में मरीज के कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम के लिए बुरा साबित हो सकता है और जान को जोखिम बढ़ता है।

130 देशों से जुटाए गए थे मामले
शोधकर्ताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिकॉर्ड में दर्ज इन दवाओं से बुरे प्रभाव वाले 2 करोड़ 10 लाख मामलों का विश्लेषण किया। ये मामले 14 नवम्बर 1967 से लेकर 1 मार्च 2020 तक 130 देशों से जुटाए गए थे।

हृदय की धड़कन अधिक तेज या धीमी हो सकती है
जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का असर हृदय पर दिखता है। मरीजों के हृदय की धड़कन तेज या धीमी हो सकती है।

डब्ल्यूएचओ ने दवा के क्लीनिकल ट्रायल पर लगाई थी रोक
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एहतियात के तौर पर हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन का क्लीनिकल ट्रायल अस्थायी रूप से बंद कर दिया। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वह यह फैसला उस रिपोर्ट के आधार पर ले रहाहै जिसमें दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमित पर हाइड्रऑक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से उनकी मौत की आशंका बढ़ जाती है।

ट्रम्प ने बताया था गेम चेंजर
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने एंटी-मलेरिया ड्रग हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को गेम चेंजर बताया था, इसके बाद देशभर में इस दवा का इस्तेमाल कोरोना मरीजों पर किया गया। ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही और ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा थीउन्हें यह दवा इमरजेंसी ड्रग के रूप में दी जा रही थी।



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Hydroxychloroquine-azithromycin combo may be potentially life-threatening


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वैज्ञानिकों ने बनाया पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड स्कैनर, कोरोना पीड़ितों के फेफड़ों कितने डैमेज हुए यह पलभर में बताता है

ब्रिटिश कोलम्बिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने ऐसा पोर्टेबल अल्ट्रासाउंड स्कैनर बनाया है जिससे कोरोना पीड़ितों के इलाज में मदद मिलेगी। यह स्कैनर मरीजों के फेफड़ों को हाल बताता है। इसके कहीं आसानी से ले जाया जा सकता है। स्कैनर को तैयार करने वाले अमेरिकी शोधकर्ताओं का दावा है कि यह लैब में होने वाले टेस्ट के मुकाबले तेजी से नतीजे बताता है।

एआई से लैस है स्कैनर
शोधकर्ताओं के मुताबिक, यह स्कैनर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस है। इसे फेफड़ों की तस्वीरों वाली ऑनलाइन लाइब्रेरी से जोड़ा गया है। कोरोना के मरीजों पर स्कैनर लगाने पर यह बताता है कि वायरस ने फेफड़ों को किस हद तक प्रभावित किया है।

ग्रामीण क्षेत्र में 50 स्कैनर बांटे गए
शोधकर्ताओं का कहना है कनाडा के वैंकूवर शहर में इस पर रिसर्च की जा रही है। अभी ग्रामीण क्षेत्र के फैमिली डॉक्टरों और मेडिकल यूनिट को 50 स्कैनर दिए गए हैं ताकि कोरोना मरीजों का इलाज बेहतर और आसान हो सके। इसके अलावा वैंकूवर कोस्टल हेल्थ एजेंसी शहरी क्षेत्र में 30 स्कैनर वितरित करेगी।

इस टीम ने बनाई डिवाइस
इसे तैयार करने वाली टीम में सैंट पॉल्स हॉस्पिटल के इमरजेंसी फिजिशियन डॉ. ओरॉन फ्रेंकेल, ब्रिटिश कोलम्बिया यूनिवर्सिटी की विशेषज्ञ डॉ. टेरेसा सैंग, वैंकूवर जनरल हॉस्पिटल के कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. पुरैंग एबॉलमैसुमी और मैकेनिकल इंजीनियरिंग के प्रोफेसर रॉबर्ट रोलिंग शामिल हैं।



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CoronaVirus Identification | Coronavirus Scanner Latest Research Updates On COVID-19 Detection By British Columbia University Scientist


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वैज्ञानिकों ने कोरोनावायरस की 3D तस्वीरें और वीडियो जारी कर समझाया इसका कौन सा हिस्सा सबसे खतरनाक, ग्लासगो यूनिवर्सिटी ने तैयार किया मॉडल

ग्लासगो यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने कोरोनावायरस की 3D तस्वीर और वीडियो जारी किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि आम लोग भी कोरोना के हर हिस्से को समझ और देख पाएंगे। वैज्ञानिकों ने इसके अंदरूनी और बाहरी दोनों हिस्सों को 3D वीडियो में दिखाया है। इसे तैयार करने वाली साइंटिफिक इलस्ट्रेटर एनाबेल स्लेटर का कहना है कि 3डी वीडियो की मदद से कोरोना के एक कण को भी बेहतर तरीके से समझा जा सकेगा। एनाबेल ग्लासगो यूनिवर्सिटी की पूर्व छात्रा रही हैं।
वायरस विशेषज्ञ और शोधकर्ता डॉ. हचिन्सन के मुताबिक, किसी भी एक प्रयोग से वायरस की इतनी गहरी तस्वीर नहीं पेश की जा सकती। ये तस्वीरें काफी शानदार हैं। हर एक वायरस का कण दूसरे थोड़ा सा अलग है।

समझें कोरोना के अलग-अलग हिस्सों को

  • स्पाइक प्रोटीन : यही स्वस्थ कोशिकाओं को जकड़ता है

यह प्रोटीन कोरोना का सबसे अहम हिस्सा है जो इसके लिए हथियार की तरह काम करता है। शरीर में पहुंचकर कोरोनावायरस का यह प्रोटीन स्वस्थ कोशिकाओं को जकड़ना शुरू करता है।
स्पाइक प्रोटीन तीन समूह में कोरोनावायरस की बाहरी सतह पर लगा होता है। इसका रूप क्राउन (मुकुट) जैसा होने के कारण वायरस का नाम कोरोना पड़ा।

  • न्यूक्लियोप्रोटीन: इस प्रोटीन सेलिपटा आरएनए वायरस को बचाता है

इस प्रोटीन के कई हिस्से आपस में मिलकर कुंडलीनुमा आकार बनाते हैं और आरएनए पर लिपटे रहते हैं। यही आरएनए कोरोना के कण में मौजूद होता है जो वायरस को डैमेज होने से बचाता है।संक्रमण के बाद आरएनए रिलीज होता है और पहली स्टेज में ही मरीज की कोशिका में जाकर उसकी वायरस से रक्षा करने की क्षमता को खत्मकरता है।



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3D MODEL OF coronavirus REVEALED Glasgow University scientist released DETAILED 3D MODEL OF SARS-COV-2


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