लॉकडाउन का सबसे ज्यादा असर बच्चों पर पड़ रहा है। 88 फीसदी पेरेंट्स का कहना है कि बच्चों का स्क्रीन टाइम बढ़ गया है यानी वे गैजेट का ज्यादा इस्तेमाल कर रहे हैं। 45 फीसदी कह रहे हैं कि बच्चे जरूरत से ज्यादा स्क्रीन पर समय बिता रहे हैं। मात्र 43 फीसदी ही ऐसे पेरेंट्स हैं जो बच्चों पर ऑनलाइन नजर रख रहे हैं। यह दावा, बच्चों के लिए काम करने वाली संस्था 'क्राय' ने अपने एक सर्वे में किया है।
पेरेंट्स-बच्चों के बीच लॉकडाउन के असर को समझने की कोशिश
संस्था ने 23 राज्यों के 1102 पेरेंट्स का ऑनलाइन इंटरव्यू किया और उनसे जाना कि लॉकडाउन का बच्चे पर क्या असर पड़ रहा है। सर्वे की मदद से यह समझनेकी कोशिश भी की गई कि क्या वह अपने बच्चों के साथ अधिक समय बिता रहे हैं या नहीं।
बच्चों में लॉकडाउन के साइड इफेक्ट दिख रहे
क्राय की चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर पूजा मारवाह का कहना है कि भले ही बच्चे कोरोना से नहीं जूझ रहे हैं लेकिन कोविड-19 का असर उन पर पड़ रहा है। सर्वे बताता है कि बच्चों में लॉकडाउन के साइड इफेक्ट दिखाई दे रहे हैं। उन पर शारीरिक, मानसिक और सामाजिक तीनों तरह से असर पड़ रहा है।
खाने का तरीका तक बदला
सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक, 50 फीसदी से अधिक पेरेंट्स ने कहा, बच्चे उत्तेजित और बेचैन हो रहे हैं। 37 फीसदी ने कहा, लॉकडाउन के कारण बच्चों के खुश रहने पर असर पड़ा। 41 फीसदी पेरेंट्स बोले, बच्चों के खाने का तरीका भी कुछ हद तक बदला और 35 फीसदी ने कहा, यह काफी हद तक बदला है।
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