कोरोना के मरीजों को दी जाने वाली ड्रग हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और एजिथ्रोमाइसिन उनके लिए खतरनाक साबित हो सकती है। यह दावा अमेरिका की स्टेनफोर्ड यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दोनों ही दवाएं एक साथ दें या अलग-अलग, दोनों ही स्थितियों में मरीज के कार्डियोवेस्कुलर सिस्टम के लिए बुरा साबित हो सकता है और जान को जोखिम बढ़ता है।
130 देशों से जुटाए गए थे मामले
शोधकर्ताओं ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के रिकॉर्ड में दर्ज इन दवाओं से बुरे प्रभाव वाले 2 करोड़ 10 लाख मामलों का विश्लेषण किया। ये मामले 14 नवम्बर 1967 से लेकर 1 मार्च 2020 तक 130 देशों से जुटाए गए थे।
हृदय की धड़कन अधिक तेज या धीमी हो सकती है
जर्नल सर्कुलेशन में प्रकाशित शोध के मुताबिक, मलेरिया की दवा हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन और एंटीबायोटिक एजिथ्रोमाइसिन का असर हृदय पर दिखता है। मरीजों के हृदय की धड़कन तेज या धीमी हो सकती है।
डब्ल्यूएचओ ने दवा के क्लीनिकल ट्रायल पर लगाई थी रोक
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने एहतियात के तौर पर हाइड्रॉक्सी क्लोरोक्वीन का क्लीनिकल ट्रायल अस्थायी रूप से बंद कर दिया। डब्ल्यूएचओ का कहना है कि वह यह फैसला उस रिपोर्ट के आधार पर ले रहाहै जिसमें दावा किया गया है कि कोरोना संक्रमित पर हाइड्रऑक्सी क्लोरोक्वीन के इस्तेमाल से उनकी मौत की आशंका बढ़ जाती है।
ट्रम्प ने बताया था गेम चेंजर
अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रम्प ने एंटी-मलेरिया ड्रग हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन को गेम चेंजर बताया था, इसके बाद देशभर में इस दवा का इस्तेमाल कोरोना मरीजों पर किया गया। ऐसे मरीज जिन्हें सांस लेने में तकलीफ हो रही और ऑक्सीजन का स्तर गिर रहा थीउन्हें यह दवा इमरजेंसी ड्रग के रूप में दी जा रही थी।
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