Sunday, September 20, 2020

दमा और हृदय रोगों से बचाएगा पुनर्नवा, चौलाई बालों की सफेदी रोकेगा और कब्ज ठीक करना है तो कलमीशाक खाइए; एक्सपर्ट से समझें इनकी खासियतें

ज्यादातर लोग साग-भाजी को एक ही तरह से बनाते हैं इसलिए परिवार के सभी लोगों को पसंद नहीं आती। इसे कई दिलचस्प तरीके से खानपान में शामिल किया जा सकता है। ये इसलिए भी जरूरी है क्योंकि इनमें ऐसे पोषक तत्व होते हैं जो बीमारियों से बचाने के साथ पहले से मौजूद बीमारी को धीरे-धीरे खत्म करने की कोशिश करते हैं। शरीर में कई जरूरी पोषक तत्वों की पूर्ति करते हैं।

अमूमन लोग सरसों, मेथी, पालक और मूली की भाजी को ही खाते हैं लेकिन कई ऐसे दूसरे साग भी हैं जिनमें औषधीय गुण है। औषधीय पौधों के विशेषज्ञ आशीष कुमार बता रहे हैं ऐसे साग जो कई तरह से आपको स्वस्थ रखते हैं....

अरबी के पत्ते

1. अरबी के पत्ते : विटामिन-ए और कैल्शियम के लिए इसे खाएं
अरबी या धुइयां के पत्ते विटामिन-ए, बी, सी, कैल्शियम, पोटेशियम और एंटी-ऑक्सीडेंट से भरपूर होते हैं। इनके पत्तों को खाने में कई प्रकार से उपयोग किया जा सकता है। कहीं इसकी हरी सब्जी बनती है तो कहीं बेसन लगाकर भाप में पकाया जाता है। इसके पकौड़े भी बनते हैं। बाजारों में आसानी से मिल जाने के बावजूद लोग अरबी के पत्ते कम खाते हैं।

चौलाई का साग

2. चौलाई का साग : आंखों को स्वस्थ रखने के साथ बालों की सफेदी रोकता है
चौलाई में कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, कैल्शियम और विटामिन-ए, खनिज और आवरन प्रचुर मात्रा में पाए जाते है। इसकी जड़ और पत्तों का औषधि रूप में उपयोग किया जाता है। आंखों को दुरुस्त रखने, रक्त बढ़ाने, खून साफ़ करने, बालों को असमय सफेद होने से बचाने, मांसपेशियों के निर्माण और शरीर में ऊर्जा बनाए रखने में चौलाई मदद करती है। चौलाई के साग से पकौड़े, लहू, सूप, मिस्सी रोटी, चटपटी चौलाई आदि स्वादिष्ठ व्यंजन बना सकते हैं। ये 12 महीने बाजार में मिलती है।

बथुए का साग

3. बथुए का साग : आयरन की कमी दूर करेगा, इसे कई तरह से बना सकते हैं
बथुए में विटामिन-ए, आयरन, कैल्शियम, फॉस्फोरस और पोटैशियम काफी मात्रा में पाए जाते हैं। कई औषधीय गुणों से भरपूर इस साग को खाने से गैस, पेट दर्द और कब्ज की समस्या दूर होती है। गांव में हर घर में खाया जाने वाला आम साग है, लेकिन शहर की थाली में बथुआ आम साग नहीं रह गया। आवश्यक खनिजों और एंटीऑक्सीडेंट्स से भरपूर बथुए को सर्दियों में आहार में शामिल कर सकते हैं। बथुए का रायता, पराठा, पूरी, बेसन चीला और उड़द दाल के साथ साग बना सकते हैं।

4. पुनर्नवा का साग : यह दमा, मूत्ररोग, सूजन और हृदय रोगों से बचाता है
इस बहुवर्षीय औषधीय पौधे की चार प्रजातियां पाई जाती हैं जिनमें सफेद और लाल मुख्य हैं। इसमें मूंग या चने की दाल मिलाकर सब्जी बनाई जाती है, जो शरीर की सूजन, मूत्ररोगों (विशेषकर मूत्राल्पता), हृदय रोगों, दमा, शरीर दर्द, मंदाग्नि, उल्टी, पीलिया, रक्ताल्पता, यकृत व प्लीज़ के विकारों आदि में फायदेमंद है। इसके सेवन का चलन अब कम होता जा रहा है।

कुल्फा का साग

5. कुल्फा का साग : यह रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है
कुल्फा या लुनी साग में एंटीबायोटिक, एंटीऑक्सीडेंट, एंटीवायरल, सूजन रोधी व एंटीफंगल गुण पाए जाते हैं। इसमें मुख्य रूप से विटामिन-ए, विटामिन-बी. विटामिन-सी, प्रोटीन, ओमेगा-3 फैटी एसिड, कैल्शियम, आयरन, फायबर, पोटेशियम, रिबोफ्लेविन पाए जाते हैं। कुल्फा साग से हमारे शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता मजबूत होती है। इसे नमकीन (खारी), कढ़ी, दाल में डालकर एवं अन्य सब्जियों के साथ मिलाकर भी खाया जा सकता है। हरी सब्जियों में सबसे ज्यादा ओमेगा-3 फैटी एसिड इसी सब्जी में पाया जाता है।

पोय साग

6. पोय साग : विटामिन-ए,सी और कैल्शियम का भंडार
पोय विटामिन-ए, विटामिन-सी, फोलेट, थायमीन, रिबोफ्लेविन, कैल्शियम, आयरन, कॉपर, जिंक, मैग्नीज और मैग्नीशियम का भी काफी अच्छा स्रोत है, जो कईरोगों से बचाने में मदद करते हैं। ये वेलनुमा हरे पत्तेदार औषधीय गुणों वाली बारहमासी साग भाजी है। अंग्रेजी में इसे मालाबार स्पिनच कहते हैं।
इसकी दो प्रजातियां हैं, एक की पत्तियां और डंठल दोनों हरे रंग के होते हैं और दूसरे के डंठल व पत्तियों की धारियां बैंगनी और पत्तियां गहरे हरे रंग की होती हैं। इसका उपयोग कई व्यंजन बनाने में होता है। पोय का साग और पकौड़ी प्रचलित व्यंजन हैं। इसके अलावा इसका सांभर और रायता भी बनाया जाता है।

कलमीशाक

7. कलमीशाक : पीलिया, नेत्र रोग और कब्ज में राहत देने वाला है
नाड़ी, करेमुआ, बेल बाला नाम से भी जाने जाने वाला कलमी शाक अर्ध-जलीय प्रकृति का द्विवर्षीय पौधा है। जून से सितंबर तक ये भाजी बाजारों में मिल जाती है। इसको आयुर्वेद में कई आम बीमारियों के इलाज के लिए औषधि के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। इसमें पाए जाने वाले कैरोटीन में मुख्य रूप से बीटा कैरोटीन, जैन्थोफिल और अल्प मात्रा में टेराजेन्थिन होता है।
इसकी भाजी कुष्ठ रोग, पीलिया, नेत्ररोग और कब्ज के निदान में उपयोगी है। यह दांतों-हड्डियों को मजबूत करती है। शरीर में रक्त की मात्रा बढाती है और रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में सहायक होती है। इसके हरे और मुलायम तनों को भाजी व सलाद के रूप में खाया जाता है।



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green leafy vegetables that boost immunity and increase power to fight against disease


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