विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) का कहना है, स्टेरॉयड दवाएं कोरोनावायरस के गंभीर मरीजों को दी जा सकती है। ये दवाएं संक्रमण के होने वाली मौतों का आंकड़ा 20 फीसदी तक घटा सकती हैं। WHO के मुताबिक, इसे शुरुआती लक्षणों वाले मरीजों पर देने की जरूरत नहीं है।
रिसर्च में कोरोना मरीजों पर असरदार साबित हुईं
डब्ल्यूएचओ की क्लीनिकल केयर हेड जेनेट डियाज के मुताबिक, दुनिया के अलग-अलग हिस्से में कोरोना के 1700 मरीजों पर स्टेरॉयड दवा के तीन ट्रायल किए गए हैं। ट्रायल में यह बात सामने आई है कि कोरोना पीड़ितों को ये दवाएं देने पर मौत का खतरा कम हुआ है।
ट्रायल के दौरान मरीजों को डेक्सामेथासोन, हाईड्रोकॉर्टिसोन और मिथाइलप्रेडिसोलोन जैसे स्टेरॉयड ड्रग दिए गए। यह मरीज की इम्युनिटी बढ़ाने के साथ सूजन को कम करते हैं।
इन देशों में हुआ ट्रायल
जेनेट डियाज के मुताबिक, स्टेरॉयड के क्लीनिकल ट्रायल ब्रिटेन, ब्राजील, चीन, फ्रांस, स्पेन और अमेरिका में हुए हैं। रिसर्चर्स ने हमें ट्रायल के जो नतीजे भेजे हैं उसके मुताबिक, ये दवाएं कोविड-19 के मरीजों पर असरदार साबित हो रही हैं। हमारी तरफ से सलाह है कि कोविड-19 के गंभीर मरीजों को स्टेरॉयड्स दी जा सकती है। स्टेरॉयड्स काफी सस्ते और आसानी से उपलबध होने वाले ड्रग हैं।
ट्रायल में सुरक्षित साबित हुई दवा
अमेरिकन मेडिकल एसोसिएशन जर्नल में प्रकाशित रिसर्च के मुताबिक, ये परिणाम चौंकाने वाले हैं। डेक्सामेथासोन पहली ऐसी स्टेरॉयड ड्रग है जिससे संक्रमण से होने वाली मौतों को रोकने में मदद की। दुनियाभर में इसका प्रयोग कोरोना के मरीजों पर किया जा रहा है।
डेक्सामेथासोन पर रिसर्च करने वाले ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के महमारी विशेषज्ञ मार्टिन लैंडरे के मुताबिक, ट्रायल के नतीजे बताते हैं कि यह दवा सुरक्षित है और दुनियाभर के डॉक्टर्स यह दवा कोरोना के मरीजों को दे सकते हैं।
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