संयुक्त राष्ट्र एक रिपोर्ट कहती है, भारत में जितना अनाज पैदा होता है उसका 40 फीसदी बर्बाद हो जाता है। इतना ही नहीं, 5 साल से कम उम्र का हर दूसरा बच्चा कुपोषण से जूझ रह है। पिछले कई सालों से देश में खाने की बर्बादी को रोकने लिए कैम्पेन चलाए जा रहे हैं लेकिन आंकड़ों में अभी भी बड़े स्तर पर का सुधार नहीं हुआ।
आज वर्ल्ड फूड डे है, इस मौके पर यह जानिए देश में कुपोषण, गरीबी और भुखमरी के हालात क्या हैं। और कैसे खाने की बर्बादी को रोककर इस तस्वीर को बदला जा सकता है।
अब पहले ये जानिए कि वर्ल्ड फूड डे मनाते क्यों हैं
हर साल 16 अक्टूबर को भुखमरी को खत्म करने के लक्ष्य के साथ वर्ल्ड फूड डे मनाया जाता है। फूड एंड एग्रीकल्चर ऑर्गेनाइजेशन यानि FAO ने 16 अक्टूबर 1945 को इसकी शुरुआत की थी। लेकिन आज भी सिर्फ भारत में हर साल 3 हजार बच्चे भुखमरी से दम तोड़ देते हैं।
आंकड़ों से समझें भुखमरी के हालात
यूनिसेफ की रिपोर्ट कहती है, भारत में बच्चे कुपोषण से जूझ रहे हैं और महिलाएं एनीमिया की कमी से। देश की हर दूसरी महिला में एनीमिक है। ग्लोबल हंगर इंडेक्स के मुताबिक, 2020 में दुनिया भर के 107 देशों में से भारत 27.2 स्कोर के साथ 94वें रैंक पर है। इससे साफ है कि जिन 107 देशों का डेटा रिपोर्ट में साझा किया गया है उनमें से मात्र 13 देशों में भूख की वजह से लोग भारत से ज्यादा परेशान हैं।
भारत को पिछले साल इसी रिपोर्ट में 30.3 अंक ही मिले थे, जो कि भुखमरी के बुरे हालात को बताता है। इस साल इसमें थोड़ा सुधार होकर 27.2 अंक पर आया है। लेकिन, अब भी भारत की स्थिति में बड़े स्तर पर सुधार की जरूरत है।
कोरोनाकाल में हालात और खराब हुए
इस साल कोविड महामारी के कारण भुखमरी और कुपोषण की समस्या और भयावह हो गई है। FAO ने इस साल वर्ल्ड फूड डे की थीम ग्रो, नरिश एंड सस्टेन टुगेदर रखी है । जिसका मतलब है, एक साथ विकास करें, स्वस्थ रहें और स्थिरता के साथ जीवन जिएं। तो चलिए हम भी इस साल किसानों से लेकर मजदूरों तक, खेत से हमारी प्लेट तक खाना पहुंचाने वाले हर इंसान का धन्यवाद करते हुए भुखमरी के खिलाफ प्रण लेते हैं कि ...
1. खाना उतना ही लें थाली में, कि फेंका न जाए नाली में
2. कोशिश करें कि खाना फेंकने के बजाए किसी जरूरतमंद को खिलाया जाए
3. सब्जी और फल लोकल दुकानों से खरीदें
4. अच्छा और पोषित खाना खाएं और स्वस्थ रहें
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