तनाव, एक्सरसाइज से दूरी, खाने में रेशेदार चीजों का कम होना, समय पर खाना न लेना, ये वो कारण हैं जो पेट के लिए दिक्कत पैदा करते हैं। ये एसिडिटी, कब्ज और अपच की समस्या को बढ़ाते हैं। योग की मदद से इससे राहत पाई जा सकती है। इसके लिए योग मुद्रा, पवनमुक्तासन और शीतली प्राणायाम जैसे योगासन करें। योग विशेषज्ञ सिमरन बलवानी से जानिए इन योगासनों को करने का सही तरीका...
पवनमुक्तासन
- कैसे करें : पीठ के बल लेट जाएं। दोनों पैर मिलाकर कमर के पास सीधे रखें। धीरे-धीरे दाएं पैर को मोड़कर सीने की तरफ लाएं और दोनों हाथों से पकड़ लें। वापस जाएं और ऐसा ही बाएं पैर से भी करें। इसके बाद दोनों पैर साथ में मोड़ कर इस अभ्यास को करें। कुछ सेकंड रुककर वापस आ जाएं।
- इसके फायदे: पाचन शक्ति बेहतर होती है। रीढ़ की हड्डी के लिए फायदेमंद है। कमर के निचले हिस्से में होने वाला तनाव दूर करता है।
- कब न करें : पैरों में दर्द या हर्निया होने पर।
शीतली प्राणायाम
- कैसे करें: ध्यान के लिए किसी भी आसन या सुखासन में बैठें। मेरुदंड एकदम सीधा रखें। आंखों को बंद व शरीर को सामान्य रखें। अपनी जीभ को मुंह के बाहर लाएं। जीभ के किनारों को इस प्रकार मोड़ें कि उसकी आकृति एक नलिका (पाइप) जैसी हो जाए। अब सांस अंदर खींचें। फिर जीभ को अंदर कर लें। मुंह को बंद करें और नाक से सांस छोड़ें। यह एक चक्र हुआ। इस तरह 8 से 10 चक्र करें।
- इसके फायदे: शरीर और मन को शीतलता प्रदान करता है। एसिडिटी के इलाज में मददगार है। इससे भूख और प्यास पर नियंत्रण प्राप्त होता है। गुस्सा कम करने में मदद करता है।
- कब न करें: प्रदूषित वायुमंडल या सुबह और रात के समय अधिक ठंड होने पर।
योग मुद्रा
- कैसे करें : पद्मासन में बैठ जाएं। जो लोग पद्मासन में नहीं बैठ सकते हैं, वे अर्धपद्मासन या सुखासन में बैठ सकते हैं। अब पीठ के पीछे एक हाथ से दूसरे हाथ की कलाई पकड़ लें। शरीर को धीरे-धीरे सामने की ओर झुकाते हुए अपना माथा जमीन से लगाने का प्रयास करें। इसे करते हुए सांस छोड़ें। कुछ सेकंड रुककर धीरे-धीरे सांस लेते हुए फिर से सामान्य स्थिति में आएं।
- इसके फायदे: कब्ज, अपच, एसिडिटी दूर करता है। पीठ, कमर और पेट के स्नायु मजबूत बनाता है। पेट पर जमी अतिरिक्त चर्बी कम करने में आपकी मदद करता है।
- कब न करें: घुटने के दर्द से पीड़ित व हर्निया होने पर।
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