सर्दियों में ड्रॉप्लेट्स से कोरोना के संक्रमण का खतरा और बढ़ सकता है। खांसने और छींकने के दौरान सांस की नली से निकले रेस्पिरेट्री ड्रॉप्लेट्स कोरोना के मामलों को बढ़ा सकते हैं। यह दावा अमेरिका की कैलिफोर्निया यूनिवर्सिटी के रिसर्चर्स ने किया है। रिसर्चर येंयिंग झू का कहना है, संक्रमण रोकने के लिए सर्दियों में सिर्फ सोशल डिस्टेंसिंग की गाइडलाइन का पालन करना काफी नहीं होगा।
कम तापमान और अधिक ह्यूडिटी खतरा बढ़ाती है
झू कहते हैं, रिसर्च के दौरान हमने पाया कि ज्यादातर स्थितियों में रेस्पिरेट्री ड्रॉप्लेट्स 6 फुट से अधिक दूरी तक फैलते हैं। घरों में अक्सर कम तापमान वाली जगह जहां खासतौर पर कूलर्स होते हैं, वहां ह्यूमिडिटी भी कम होती है। ऐसी स्थितियों में संक्रमण का खतरा ज्यादा रहता है।
सर्दियों में इसलिए खतरा ज्यादा
सर्दियों में खतरा ज्यादा है, रिसर्चर्स ने इसके पीछे तर्क भी दिया है। उनका कहना है कि गर्म और सूखे स्थानों में रेस्पिरेट्री ड्रॉप्लेट्स वाष्पित हो जाते हैं। लेकिन इसके बाद बचा हुआ कुछ हिस्सा दूसरे ड्रॉप्लेट्स के साथ मिलकर नया ड्रॉपलेट बन जाता है। लेकिन तापमान कम होने पर ये वाष्पित भी नहीं होते इसलिए रिस्क बढ़ता है।
10 माइक्रॉन्स से भी छोटे होते हैं रेस्पिरेट्री ड्रॉप्लेट्स
रिसर्चर्स के मुताबिक, रेस्पिरेट्री ड्रॉप्लेट्स आकार में 10 माइक्रॉन्स से भी छोटे होते हैं। ये हवा में लम्बे समय तक टिके रह सकते हैं। सांस लेने के दौरान ये कण इंसान के शरीर में पहुंच सकते हैं। गर्मियों के मुकाबले सर्दियों में इनका खतरा ज्यादा है।
यह आसपास के माहौल पर भी निर्भर
झू कहते हैं, यह सब कुछ इस बात पर निर्भर करता है कि आपके आस-पास का माहौल कैसा है। रिसर्च की मदद से लोगों को अलर्ट करने की कोशिश की गई ताकि संक्रमण का खतरा कम किया जा सके। इससे पहले सामने आई कई रिसर्च भी यह साबित कर चुकी हैं कि सर्दियों में बेहद अलर्ट रहने की जरूरत है।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3nWp0Z2
via
No comments:
Post a Comment