ताड़ासन का असर पूरे शरीर पर दिखता है। इस दौरान शरीर ताड़ के पेड़ की तरह ऊंचा और मजबूत दिखता है, इसलिए इसे ताड़ासन कहते हैं। यह रीढ़ की हडि्डयों से जुड़ी तंत्रिकाओं के संतुलन को सुधारता है। जांघ, घुटने और एड़ियों को मजबूत बनाता है। अगर हृदय रोगों से जूझ रहे हैं, चक्कर आते हैं और पैरों की नसों में सूजन है तो इसे न करें।
ऐसे करें
- इसे करने के लिए पहले पैरों के बीच दो इंच की दूरी बनाते हुए सीधे खड़े हो जाएं। दोनों हाथों को कंधों के बराबर लाएं, अंगुलियों को आपस में पकड़ें और कलाइयों को बाहर की ओर मोड़ें।
- धीरे-धीरे सांस अंदर लेते हुए भुजाओं को कंधों की सीध में उठाते हुए सिर के ऊपर ले जाएं। इस अवस्था में शरीर स्थिर करने के बाद धीरे-धीरे एड़ियों को जमीन से ऊपर उठाएं और पंजों के बल खड़े हो जाएं।
- अब बिना संतुलन बनाकर इसी स्थिति में 10-15 सेकंड रहें। सामान्य रूप से सांस लें और छोड़ें। शुरुआत में कठिनाई हो सकती है लेकिन नियमित प्रयास से संतुलन बनेगा।
- 10-15 सेकंड बाद धीरे-धीरे सांस छोड़ते हुए अपनी एड़ी काे वापस जमीन पर रखें और अंगुलियों को खोलें। अपने हाथों को धीरे-धीरे नीचे लेकर आएं सीधे खड़े हो जाएं।
योग विशेषज्ञ डॉ. किरन गुप्ता से जानिए फायदे...
- संतुलन बढ़ाता है: यह रीढ़ की हड्डी से जुड़ी तंत्रिकाओं के संतुलन को बेहतर बनाता है। शरीर के पॉश्चर को बेहतर करता है। जांघ, घुटने और एड़ियां मजबूत होती हैं।
- लंबाई बढ़ाता है: ताड़ासन बच्चों की लंबाई बढ़ाने में मदद करता है। इसके 6-20 साल तक के बच्चों को कराया जा सकता है।
- वजन घटाता है: इसे रोजाना किया जाए तो काफी हद तक खासतौर पर पेट और दूसरे हिस्सों की चर्बी कम करने में मदद मिल सकती है। इसे करने से पूरी बॉडी में खिंचाव आता है और बॉडी शेप में आती है।
- मांसपेशियों का दर्द दूर: मांसपेशियों के दर्द से परेशान हैं तो ताड़ासन रोजाना करें। इससे मांसपेशियों-नसों की ऐंठन और मरोड़ दूर होती है।
- पीठ के दर्द का अंत: यह पीठ के दर्द के लिए भी फायदेमंद है। ताड़ासन करने के दौरान जब शरीर खिंचता है तो जहां पर दर्द है वहां खिंचाव महसूस होता है। दर्द होने पर इसे धीरे-धीरे करें।
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