Sunday, June 14, 2020

कोरोना के दर्द की 10 फोटो जिनमें सिर्फ जगहें बदल गईं, लेकिन अपनों को आखिरी अलविदा कहना कोई नहीं चाहता था

ग़ालिब ने लिखा था-हमने माना कि तगाफुल * न करोगे लेकिन, खाक हो जाएंगे हम तुमको खबर होने तक ... (*तगाफुल - नजरअंदाज करना )...वाकई, आज कोरोना से मरने वालों की यही हालत है। चाहकर भी लोग अपनों को वक्त से पहले अलविदा कहने को मजबूर हैं। और लाचारी ऐसी कि, न तो आखिरी बार चेहरा देख पाते हैं और न ही ठीक से सुपुर्द-ए-खाक कर पाते हैं।

दुनियाभर में हालात और ज्यादा मनहूस होते जा रहे हैं।लोग जीते जी कोरोना के संक्रमण से नहीं बच पाए और मरने के बाद लाशों को दफनाने के लिए जगह कम पड़ गई है। लैटिन अमेरिकी देश ब्राजील के हालात ऐसे ही हैं। यहां केशहरसाओ पाउलो में तीन साल पुरानी कब्र को खोदकर हडि्डयां निकाली जाएंगी और नई लाशों को दफनाया जाएगा।

दुनियाभर से ली गईं अपनों से अंतिम विदाई की 10 फोटो जो बताती हैं कि इस दर्द की इंतेहा नहीं।

'कोविड-19 कब्रिस्तान' : 7 जून 2020 को ली गई यह फोटो त्रिनिदाद की है। यहां ऐसा कब्रिस्तान भी है, जहां केवल कोविड-19 के मरीजों की मौत के बाद उन्हें दफनाया जा रहा है। इसे 'कोविड-19 कब्रिस्तान' का नाम दिया गया है। अपनों की विदाई के अंतिम समय में भी पूरे परिवार के आने पर पाबंदी है।
ये सीढ़िया नहीं, कब्र हैं : पहली नजर में यह फोटो किसी सीढ़ीनुमा स्मारक जैसी दिखती है, असल में ये कब्र है। ब्राजील के सबसे बड़े शहर साओ पाउलो में कोरोना से मरने वालों के लिए 3 हजार कब्र खोदी गई हैं। तस्वीर 4 जून 2020 को ली गई है। ब्राजील में शुक्रवार रात मरने वालों का आंकड़ा 41 हजार 901 हो गया। इसके साथ ही मौतों के मामले ब्राजील ब्रिटेन से आगे निकल गया।
साथ और सांस दोनों छूटे : यह फोटो लंदन की है। कोविड-19 के संक्रमण से मौत के बाद कब्रिस्तान में जाने से पहले मरीज की सांस चेक करता मर्चुरीकर्मचारी। ब्रिटेन में कोरोना से मरने वालों का आंकड़ा 41,481 पार कर चुका है। वहीं अब तक संक्रमण के 2,92,950 मामले सामने आ चुके हैं।
अंतिम विदाई : पेरू में लोगों को दफनाने के लिए शहरी क्षेत्र से दूर पहाड़ियों पर ले जाया जा रहा है। यहां के निवासी फ्लेविया जुआरेज की 50 साल की उम्र में कोरोना से मौत हुई। यहां बियर की बोतल के साथ मृतक को अंतिम विदाई देने का रिवाज है।
पिता का साथ छूटा : ब्राजील के मनौस में आदिवासी समुदाय के नेता मेसायस कोकाम की 14 मई को कोविड-19 से मौत हुई। उनकी अंतिम विदाई के पलों में बेटा मिक्वायस मोरेरा कोकामा। अप्रैल के अंत में कोरोनावायरस शहरी क्षेत्र से आदिवासी क्षेत्र में पहुंचना शुरू हुआ था।
दूर तक कब्र ही कब्र : 10 जून को ली गई यह फोटो मेक्सिको के शिको कब्रिस्तान की है। यह कब्रिस्तान शहर के अंतिम छोर पर है, जहां कोविड-19 से मरने वालों को दफनाया जा रहा है। कम पड़ती जगह के कारण कब्र को एक-दूसरे से सटाकर रखा गया है। इन दिनों कुछ मजदूर यहां दिनभर कब्र खोदने का ही काम कर रहे हैं।
पिता की कैप ही अब आशीर्वाद : यह हैं गेविन रॉबर्ट्स जो अपने पिता के फ्यूनरल में बैठे हैं। इनके पिता न्यूजर्सी के ग्लेन रिड में पुलिसकर्मी थे जिनकी मौत मई में कोरोना संक्रमण से हुई थी। अंतिम विदाई के दौरान पिता की डेडबॉडी को निहारने गेविन ने उनकी कैप लगाई हुई है।
जनाजों का जखीरा : यह फोटो न्यूयॉर्क के हार्ट आइलैंड की है, जहां कई शवों को अलग-अलग न दफनाकर एक साथ एक बार में दफनाया गया था। अप्रैल और मई में कोरोना से होने वाली मौत का आंकड़ा बढ़ने पर ऐसा किया गया था। फोटो 9 अप्रैल को ली गई थी।
कब्र में भी सुकून नहीं: मेक्सिको में भी दफनाने के लिए जगह कम पड़ रही है। इसलिए पुरानी कब्र को वापस खोदकर जगह बनाई जा रही है ताकि अधिक से अधिक लोगों को दफनाया जा सके।
अंतिम यात्रा पर निकले पिता को छू भी नहीं सकते: यह फोटो दिल्ली की है। जिसमें एक बेटा अपने पिता को दफनाने ले जा रहा है। पिता की मौत कोविड-19 के कारण हुई है। नियमों के मुताबिक, शव को छू नहीं सकते और न ही गले से लिपटकर रो सकते हैं। पार्थिव शरीर को खिसकाने और दूरी बनाए रखने के लिए रस्सी का इस्तेमाल किया जा रहा है।


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10 pictures of the last farewell to loved ones, which shows how much the epidemic has taken away and only pain


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