लॉकडाउन के बाद अनलॉक-1 में पाबंदियां धीरे-धीरे हटाई जा रही हैं लेकिन अभी भी का यह समय बुजुर्गों के लिए चुनौतीभरा है। खासकर उनके लिए जिन्हें कम दिखता है। जर्नल ऑफ फैमिली मेडिसिन एंड प्राइमरी केयर के अनुसार, भारत के लगभग 35 प्रतिशत बुजुर्गों को दृष्टि से जुड़ी कोई न कोई समस्या है।
60 वर्ष से अधिक आयु वाले बुजुर्गों में दृष्टिहीनता के बड़े कारणों में से एक है एज-रिलेटेड मैक्युलर डीजेनरेशन (एएमडी)। यह रेटिना से जुड़ा रोग है। जिसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता है लेकिन कुछ सावधानी बरतकर रोगी को राहत पहुंचाई जा सकती है।
सीनियर कंसल्टेंटऔर विट्रियोरेटिनल सर्जन डॉ. राजवर्द्धन आजाद बता रहे हैं, कोरोना के दौर में इससे कैसे निपटें-
क्या होता है एएमडी
एएमडी में रेटिना के मध्य भाग मैक्युला के नीचे असामान्य रक्त नलिकाओं की वृद्धि होती है। इसके लक्षण अक्सर भ्रमित करने वाले होते हैं और इन्हें बढ़ती आयु के संकेत समझकर नजरअंदाज कर दिया जाता है। हालांकि, यदि सही समय पर इनका पता चल जाये, तो आंखों की रोशनी खोने से बचाया जा सकता है।
अध्ययन बताते हैं कि दृष्टि संबंधी समस्या से जूझ रहे बुजुर्ग उन अन्य रोगियों की तुलना में 90 प्रतिशत अधिक अवसादग्रस्त हो सकते हैं। रेटिना सम्बंधी रोगों के साथ जी रहे बुजुर्गों को गिरने और चोट लगने का खतरा भी अधिक होता है। ये सभी फैक्टर लॉकडाउन को बुजुर्ग एएमडी रोगियों के लियए ज्यादा कठिन बना सकते हैं।
बचाव की 6बातें, जो हमेशा ध्यान रखें
- जो रोगी एंटी-वीईजीएफ इंजेक्शंस पर हैं, उन्हें लगातार अपने डॉक्टर से संपर्क में रहना चाहिए। ऑल इंडिया ऑफ्थैल्मोलॉजिकल सोसायटी (एआईओएस) की हालिया गाइडलाइंस के अनुसार, लॉकडाउन के कारण कुछ सर्जरी और प्रक्रियाओं को फिलहाल टाल दिया गया है, पर एंटी-वीईजीएफ इंजेक्शंस पर चल रहे रोगियों को डॉक्टर के पास जाने की जरूरत पड़ सकती है।
- रोगियों और तीमारदारों को अपने डॉक्टर से पूछना चाहिये (प्रत्येक 4-8 सप्ताह में) यदि उन्हें इंजेक्शन लगवाने के लिए जाना हो तो क्या करें। क्लीनिक जाएं भी तो सोशल डिस्टेंसिंगबनाए रखें और खुद को मास्क और दस्तानों से सुरक्षित करें।
- एएमडी रोगियों को एम्सलर ग्रिड के माध्यम से हर दिन अपनी दृष्टि की जांच करने की सलाह दी जाती है। यह ग्रिड दृष्टि में ऐसे बदलावों का पता लगा सकती है, जो अस्वाभाविक हों। यदि आप ग्रिड में गहरा, लहरदार, खाली या धुंधला एरिया देखते हैं, तो तुरंत अपने रेटिनोलॉजिस्ट से संपर्क करें
- पैदल चलने और घर में काम करने के अपने नियमित मार्ग से खतरे वाली सभी चीजोंको हटा दें। इनको उठाकर अलग रखने के लिये अपनी देखभाल करने वालों या पड़ोसियों की मदद लें। इससे खराब दृष्टि के कारण दुर्घटना से गिरने का जोखिम कम होगा।
- अपने घर में रोशनी की बेहतर व्यवस्था करें। दिन के समय खिड़कियों को खुला रखा जा सकता है और रात के समय ज्यादा लाइट्स ऑन करके रखा जा सकता है। सोते समय भी, कुछ लाइट्स को ऑन रखें, ताकि यदि आप रात में जागकर चलें, तो किसी चीज से न टकराएं।
- मदद मांगने में संकोच न करें। घर के कामों में परिवार के युवा सदस्यों की मदद लें। यदि आप अकेले रहते हैं, तो राशन का सामान और दवाएं रखने के लिए अपने पड़ोसियों से मदद लें।
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