Friday, June 19, 2020

कोरोनाकाल में अधिक सोचने से मन को अधिक खतरा, एक-दूसरे से बात करते रहें और पॉजिटिव खबरें शेयर करें

कोविड-19 का असर सिर्फ शरीर पर नहीं, मन पर भी हो रहा है। कोविड-19 को लेकर देश में डर ज्यादा है। यही वजह है कि एक वर्ग ऐसा भी है, जो खुद घर में पूरी तरह बंद करके बैठा हुआ है। कोविड-19 अब कोरोना फोबिया को भी जन्म दे रहा है। मनोचिकित्सकों का कहना है कि किसी भी आपदा की आशंका, जिसमें जान जाने का खतरा हो, वह उन लोगों को ज्यादा डराती है, जो पहले से ही डिप्रेशन का शिकार रहे हों। कोरोना फोबिया का यही डर एगोरोफोबिया में बदल सकता है।
एगोरोफोबिया वह स्थिति होती है, जिसमें व्यक्ति डर की वजह से ऐसी जगह जाने से डरता है, जहां भीड़भाड़ हो। सबसे बड़ी समस्या यह है कि डर की यह स्थिति हमारे शरीर के अलग-अलग अंगों की कार्यप्रणाली पर भी बुरा असर डालती है। इसे इसलिए भी समझना जरूरी है, क्योंकि कोविड-19 का असर देश-दुनिया में लंबे समय तक रहेगा। ऐसे में आपका तैयार रहना बहुत जरूरी है। एमजीएम, मेडिकल कॉलेज, इंदौर के एचओडी डॉ. वेदप्रकाश पांडे बता रहे हैं कोरोनाकाल के इस डर से कैसे निपटें-

कोरोना का यह डर एगोरोफोबिया में बदल सकता है यानी भीड़ में जाने से डर
कोरोना फोबिया एगोरोफोबिया में भी बदल सकता है। यह वह स्थिति हो जाती है, जिसमें व्यक्ति डर के कारण से किसी भी ऐसी जगह में जाने से बहुत घबराता है जहां भीड़-भाड़ ज्यादा हो। ऐसे में उसका व्यवहार बदल जाता है।

क्या करना चाहिए : सही जानकारी लें, डर ज्यादा है तो मनोचिकित्सक से बात करें

  • फोबिया से प्रभावित व्यक्ति को हमेशा सही जानकारी ही प्रदान करें।
  • पॉजिटिव न्यूज बताते रहें, धीमे- धीमे सुरक्षा के साथ घर से बाहर निकालने का प्रयास करें।
  • कोरोना वायरस की बीमारी जल्द दुनिया से जाने वाली नहीं है। यह वायरस विश्व में लंबे समय तक रह सकता है। ऐसे में सही जानकारी प्राप्त करें।
  • यदि पहले से कोई मनोरोग रहा है, तो आपको सतर्क रहना ज्यादा जरूरी है।
  • किसी प्रकार की समस्या/अधिक डर होने पर अपने मनोचिकित्सक से बात करें।

फोबिया की जांच कैसे करें : जरूरी काम से भी बाहर जाने में हिचकिचाहट, अकेलापन पसंद

  • विशेषज्ञों के अनुसार तीन स्तर पर जांच सकते हैं कि कहीं आप किसी फोबिया का शिकार तो नहीं हैं।
  • पहली स्थिति- जब आप जरूरत से ज्यादा सावधानी बरतने लग जाएं।
  • दूसरी स्थिति- जब आप खुद को अकेलेपन की ओर ले जाने की कोशिश करें। परिचितों से बात करने से भी बचें।
  • तीसरी स्थिति- जब आप जरूरी कार्यों के लिए भी घर से निकलने से बचने लगें। साथ ही किसी के आने की खबर से ही बेचैनी महसूस करने लग जाएं।

इसका शरीर पर क्या असर होगा? : ब्लड प्रेशर पर बुरा असर पड़ेगा, सिरदर्द होगा, झगड़ालू हो जाएंगे

  • इन स्थितियों का असर ये होता है कि स्ट्रेस बढ़ने लगता है। घबराहट होती है।
  • भावनात्मक असर ज्यादा पड़ता है। चिंता, गुस्सा, बेचैनी और उदासी महसूस होती है।
  • प्रभावित लोग अगर पहले से किसी लत के शिकार हों, तो उसका असर बढ़ जाता है।
  • बार-बार सिरदर्द और ब्लड प्रेशर की समस्या शुरू हो सकती है। व्यक्ति झगड़ालू हो सकता है। या फिर पूरी तरह अकेलेपन की ओर बढ़ सकता है।
  • पीड़ित को एंग्जायटी डिसऑर्डर की समस्या भी हो सकती है।


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