कोरोनावायरस की दूसरी लहर को रोकना है तो हॉस्पिटल में भर्ती संक्रमित मरीजों का ऑक्सीजन टेस्ट करना होगा। यह कहना है कि ब्रिटिश एक्सपर्ट डॉ. सिमोनबेरी का। डॉ. सिमोन के मुताबिक, महामारी की शुरुआत से ही कोरोना मरीजों के ब्लड में ऑक्सीजन की कमी देखी गई है। आने वाली सर्दियों में फ्लू और निमोनियाको पहचानना मुश्किल होगा, ऐसे में ऑक्सीजन की मॉनिटरिंग करना जरूरी है।
कोरोना के मरीजों में ऑक्सीजन का स्तर 90 फीसदी के नीचे पहुंचता है
श्वांस रोग विशेषज्ञ डॉ. सिमोन के मुताबिक, ज्यादातर मरीजोंमें कोरोनावायरस के हल्के लक्षण होते हैं, कई बार ये भी नहीं दिखते। डॉक्टर्स का कहना है किहॉस्पिटल में भर्ती होने वाले लगभग सभी मरीजों के ब्लड में ऑक्सीजन का स्तर कम मिला है।
सामान्यतौर पर एक स्वस्थ इंसान में ऑक्सीजन का लेवल 95 फीसदी से 99 फीसदी होना चाहिए। लेकिन कोविड-19 के मरीजों में यह 90 फीसदी के नीचे तक गिर जाता है। ऐसे मामलों में ऑक्सीजन थैरेपी या वेंटिलेटर की जरूरत पड़ती है।
ऑक्सीजन लेवल बढ़ाने के लिए CPAP डिवाइस भी बेहतर विकल्प
कोरोना के मरीजों का इलाज कर रहे डॉ. सिमोन ने एक वेबसाइट भी तैयार कराई है जहां कोरोना से जुड़ी हर नई गाइडलान और नई जानकारी मौजूद है। वह कहते हैं कि कोरोना के मरीजों को अक्सर टाइट मास्क लगाकर ऑक्सीजन दी जाती है लेकिन ऐसी स्थिति में दूसरी तरीके भी अपनाए जा सकते हैं। तेजी से गिरती ऑक्सीजन की स्थिति में मरीज के लिए CPAP (कॉन्टीन्युअस पॉजिटिव एयरवे प्रेशर थैरेपी) डिवाइस इस्तेमाल करना बेहतर विकल्प है।
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