कोरोना के एसिम्प्टोमैटिक (बिना लक्षण वाले) मरीजों में वायरस की संख्या अधिक पाई गई है। यह दावा भारतीय वैज्ञानिकों ने किया है। हैदराबाद के सेंटर फॉर डीएनए फिंगरप्रिंटिंग एंड डायग्नोटिक के रिसर्चर्स ने कोरोना के 200 मरीजों पर अध्ययन किया गया है। रिसर्चर्स का कहना है कि भले ही इम्युनिटी ज्यादा होने से एसिम्प्टोमैटिक मरीजों में कोरोना का असर न दिख रहा हो लेकिन अगर इनसे संक्रमण ऐसे इंसानों में फैला जिसकी इम्युनिटी कम है तो मौत की दर बढ़ेगी।
रिसर्च से जुड़ी 6 बड़ी बातें
- रिसर्चर्स के मुताबिक, हैदराबाद में कोरोना के मरीजों से वायरस का सैम्पल लेने के बाद इनकी जीनोम सिक्वेंसिंग की गई। रिपोर्ट में सामने आया कि इनमें तेजी से म्यूटेशन हुआ।
- रिसर्चर मुरलीधरन का कहना है कि 95 फीसदी संक्रमित आबादी में संक्रमण कोरोनावायरस के 20B क्लेड स्ट्रेन से हुआ है।
- कोरोनावायरस के 20Bक्लेड स्ट्रेन का संक्रमण मई से जुलाई के बीच 100 फीसदी तक हुआ। हैदराबाद में इस वायरस की एंट्री दूसरे स्ट्रेन के जरिए हुई। धीरे-धीरे 20B ने खुद को तैयार किया और मई से संक्रमण फैलाना शुरू किया।
- 20B स्ट्रेन वाले वायरस के स्पाइक प्रोटीन में बदलाव हुआ। जिससे वर्तमान में होने वाले संक्रमण की दर अधिक है। रिसर्चर्स ने इस वायरस से जुड़े ऐसे म्यूटेशन पहचाने जो अब तक देश में हुई दूसरी रिसर्च में नहीं सामने आए हैं।
- रिसर्च के लिए सैम्पल मई और जुलाई के बीच लिए गए थे। इस दौरान कोरोना के एसिम्प्टोमैटिक मरीजों की संख्या अधिक थी।
- जिनसे सैम्पल लिए गए उनकी उम्र 15 से 62 साल के बीच थी। इनमें 61 फीसदी पुरुष और 39 फीसदी महिलाएं थीं।
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