Tuesday, August 18, 2020

पहली बार मुंबई में आवाज से होगी कोरोना मरीजों की पहचान, एआई सॉफ्टवेयर से घर बैठे होगा टेस्ट; 30 मिनट में नतीजा

देश में पहली बार आवाज के आधार पर काेराेना का परीक्षण होने जा रहा है। बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) एक हजार लोगों पर पायलट प्रोजेक्ट के जरिए ऐप आधारित तकनीक से कोरोना के लक्षणों की जांच करेगी। इस जांच में आधे कोरोना पॉजिटिव मरीज होंगे और आधे कोरोना के संभावित मरीज।

बीएमसी के एडिशनल कमिश्नर सुरेश ककानी का कहना है कि इजराइल और अमेरिका में इस तकनीक से कोरोना का टेस्ट किया जा रहा है। इसी महीने शुरू होने वाला पायलट प्रोजेक्ट सफल रहा तो इसे आगे भी अमल में लाया जाएगा। टेस्ट को अंजाम देने वाली वोकलिस हेल्थ अमेरिकी कंपनी है।

भारत में पहले से काम कर रही यह कंपनी फार्मास्युटिकल और आईटी दोनों क्षेत्रों में कार्यरत है। जिन मरीजों का कोरोना के लिए आवाज का टेस्ट लिया जाएगा, उनका आरटी-पीसीआर (ड्राई स्वैब के प्रोटेक्टिव ट्यूब में लिए नमूने) टेस्ट भी होगा। फिर दोनों टेस्ट का अध्ययन और मूल्यांकन किया जाएगा कि कौन सा टेस्ट ज्यादा सटीक है और कौन से टेस्ट में रिजल्ट कितनी जल्दी आते हैं।

अमेरिका और इजराइल में पहले से हो रहा टेस्ट

इस टेस्ट को पहले से इजराइल और अमेरिका में किया जा रहा है। इसे करने के पीछे बीएमसी का भरोसा सिर्फ इतना है कि अगर कोई कोरोना पॉजिटिव है, तो उसकी आवाज बदल जाती है। पायलट प्रोजेक्ट के तहत फिलहाल यह टेस्ट मुफ्त में किया जाएगा। इस टेस्ट की तकनीक तैयार करने वाली कंपनी वोकलिस हेल्थ के सीईओ टाल वेंड्रिओ का कहना है- ‘कोरोना के लिए यह स्क्रीनिंग समाधान सिर्फ सॉफ्टवेयर आधारित है। इसकी सर्वर और डेटा बैंडविड्थ क्षमता इतनी है कि इससे एक दिन में बहुत सारे टेस्ट किए जा सकते हैं। इसके नंबर की कोई सीमा नहीं है।

ऐसे होगा इस्तेमाल

यह सॉफ्टवेयर स्मार्टफोन या टैब में डाउनलोड करना होगा। उसमें अपनी आवाज रिकॉर्ड करनी होगी और 30 मिनट में कोरोना का रिजल्ट आ जाएगा। सॉफ्टवेयर आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के जरिए काम करेगा और घर पर, ऑफिस में या ट्रेवल पर निकलने से पहले खुद टेस्ट करके फायदा लिया जा सकता है। यह टेस्ट शुरुआती लक्षण दिखने पर कारगर है। इसका विदेशों में 85% तक सकारात्मक परिणाम देखने को मिला है।’

हेल्थकेयर पर कम भार पड़े इसलिए तकनीक आजमा रहे कई देश

वोकलिस के सीईओ का कहना है कि इस तकनीक का प्रयोग करने वाले देशों ने इस प्रयोग को इसलिए आजमाया ताकि हेल्थकेयर सिस्टम पर पड़ने वाला भार कम किया जा सके। महाराष्ट्र में जिस तेजी से कोरोना के मरीज बढ़ रहे हैं, उसे देखते हुए इस तकनीक का प्रयोग किया जा रहा है। कंपनी का इजराइल, अमेरिका समेत कई यूरोपीय देशों की सरकार के साथ साझेदारी में प्रोजेक्ट सफल रहा है।



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