वैज्ञानिकों ने कोरोना से जुड़ी एक और गुत्थी सुलझाई है। वैज्ञानिकों का कहना है, कोरोना संक्रमण के दौरान मरीज को किसी तरह की गंध या खुशबू का अहसास नहीं हो पाता है। यह लक्षण कोल्ड और फ्लू में दिखने वाले इससे मिलते-जुलते लक्षण से अलग है। कोरोना के मामले में मरीज की सूंघने की क्षमता खत्म होने पर वो आसानी से सांस ले पाते हैं और उनकी नाक नहीं बहती। इस तरह यह लक्षण दूसरे कोल्ड या फ्लू से अलग है।
राइलोनॉजी जर्नल में प्रकाशित शोध के मुताबिक, कोरोना के मरीजों में वायरस असर मस्तिष्क के सेंट्रल नर्वस सिस्टम पर होता है। ऐसा होने के बाद मरीज के सूंघने और स्वाद पहचानने की क्षमता घटती है।
तीन समूह बनाकर ऐसे हुई रिसर्च
रिसर्च करने वाली ब्रिटेन की ईस्ट एंगलिया यूनिवर्सिटी के शोधकर्ता कार्ल फिलपॉट का कहना है कि हम ये पता लगाना चाहते थे कि कोरोना पीड़ितों में सूंघने की क्षमता घटने वाला लक्षण कोल्ड और फ्लू से कितना अलग है। इसे समझने के लिए रिसर्च में 10 कोरोना पीड़ित, सर्दी (कोल्ड) से जूझने वाले 10 और 10 सामान्य स्वस्थ लोगों को शामिल किया गया। इसमें हर उम्र वर्ग और जेंडर के लोग शामिल थे।
कोरोना दूसरे रेस्पिरेट्री वायरस से अलग व्यवहार करता है
शोधकर्ताओं के मुताबिक, इस दौरान पाया गया कि कोरोना दूसरे रेस्पिरेट्री वायरस (कोल्ड) से अलग व्यवहार करता है। कोविड-19 के मरीजों में वायरस शरीर के इम्यून सिस्टम पर बुरा असर डालता है। इस वजह से इम्यून सिस्टम शरीर को बचाने की जगह क्षतिग्रस्त करना शुरू कर देता है। इस साइटोकाइन स्टॉर्म कहते हैं। ऐसा होने पर असर मस्तिष्क पर पड़ता है और इस तरह के लक्षण नजर आते हैं।
कोविड-19 के मरीजों में सूंघने की क्षमता अधिक प्रभावित
शोधकर्ताओं के मुताबिक, अलग समूहों का विश्लेषण करने पर पता चला कि दूसरे मरीजों के मुकाबले सूंघने का असर कोविड-19 मरीजों पर अधिक पड़ा। इस तरह हमने कोल्ड/ फ्लू और कोविड-19 के मरीजों में बड़ा अंतर देखा।
Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
from Dainik Bhaskar https://ift.tt/3l3wDf2
via
No comments:
Post a Comment