Thursday, August 20, 2020

भारत में हर्ड इम्युनिटी के दावों को विशेषज्ञों ने नकारा, कहा; अभी तय नहीं है कि 70% लोगों में पाए जाने पर हर्ड इम्‍युनिटी मानेंगे या 80% पर

सीरो सर्वे के अनुसार, अधिकांश मरीज एसिम्‍प्‍टोमेटिक हैं यानी या तो उनमें लक्षण नहीं दिख रहे या बेहद हल्के हैं। ऐसे लोगों में एंटीबॉडी जल्दी बन जाती है, जो वायरस से लड़ने में मदद करती है और मरीज जल्दी कम समय में ठीक हो जाते हैं। इस वजह से लोग सोच रहे हैं कि देश के कुछ हिस्सों में हर्ड इम्‍युनिटी विकसित हो गई है। हालांकि स्वास्थ्‍य विशेषज्ञों ने इस बात को सिरे से खारिज किया है।

धारावी के मामले से इसे समझिए
जीबी पंत हॉस्पिटल, नई दिल्ली के डॉ. संजय पांडेय ने विश्‍व स्वास्थ्‍य संगठन का हवाला देते हुए कहा, अभी कहीं भी हर्ड इम्युनिटी नहीं बनी है, क्योंकि अभी यह पता नहीं है कि कितने प्रतिशत लोगों के संक्रमित होने पर हर्ड इम्‍युनिटी विकसित होगी।

जैसे, धारावी में एक सर्वे में 50 प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी पाई गई तो यह नहीं कह सकते हैं कि वहां हर्ड इम्युनिटी बन गई है। अभी यह भी पक्का नहीं है कि 70 प्रतिशत लोगों में पाए जाने पर हर्ड इम्‍युनिटी मानेंगे या 80 प्रतिशत पर।

क्या है सीरो सर्वे, जिसे देशभर में किया जा रहा है
प्रसार भारती से बातचीत में उन्होंने बताया कि आबादी के कितने लोग संक्रमित हो चुके हैं, इसके लिये सर्वे कराया जाता है, जिसे सीरो कहते हैं, जिसमें पता चलता है कि कितने लोग संक्रमित हो चुके हैं, क्योंकि 80 प्रतिशत लोग एसिम्प्टोमेटिक हैं, 10-15 प्रतिशत हल्के लक्षण वाले और 5-10 प्रतिशत गंभीर लक्षण वाले हैं। इन 80% लोगों को संक्रमण हुआ, लेकिन उन्हें पता नहीं चला। ऐसे लोगों की पहचान करने के लिये सीरो सर्वे करते हैं।

सीरो सर्वे से यह पता चलता है किसी क्षेत्र में कोरोना का प्रकोप कितना था और वहां कितने प्रतिशत लोगों में एंटीबॉडी बन चुके हैं, यानी कितने प्रतिशत संक्रमित हो चुके हैं। इससे आगे की प्लानिंग में मदद मिलती है। कल को वैक्सीन आती है तो जहां लोगों में एंटीबॉडी कम हैं, वहां वैक्सीन पहले दे सकते हैं।

दिल्ली के 29.10 फीसदी लोगों में एंटीबॉडी बनी
राष्‍ट्रीय राजधानी दिल्ली में दूसरे सीरो सर्वे के परिणाम गुरुवार को जारी किए गए। प्रदेश के 29.10 प्रतिशत लोगों में एंटीबाडीज मिले हैं। पुरुषों से ज्यादा एंटीबॉडीज महिलाओं और बच्चों में पाए गए हैं।

सर्वे के आंकड़ों के अनुसार, दिल्ली में 28.3 फीसदी पुरुष, 32.2 फीसदी महिलाओं और 18 साल से कम उम्र के 34.7 फीसदी बच्चों में कोरोना के खिलाफ इम्युनिटी पाई गई। वहीं, देश के अन्य बड़े शहरों में पहले भी सीरो सर्वे के नतीजे आ चुके हैं। जिसमें सर्वे के आधे से अधिक लोगों में एंटीबॉडी पाये गए हैं। वहीं, अब कई शहरों में दोबोरा सर्वे शुरू हो चुका है।

हर्ड इम्युनिटी पर क्या कहता है विश्व स्वास्थ्य संगठन

विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने चेतावनी भी दी है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए लोगों में हर्ड इम्युनिटी बनने का इंतजार करना सही नहीं है। WHO के प्रमुख टेड्रोस अधेनॉम गेब्रेसियस ने कहा कि हर देश के उन 20% लोगों को पहले वैक्सीन लगाई जानी चाहिए, जो सबसे ज्यादा खतरे में हैं। इसके उलट यदि कुछ चुनिंदा देशों की सारी आबादी को भी अगर पहले वैक्सीन लगा दी जाती है, तो न अर्थव्यवस्था पटरी पर आ पाएगी, न ही संक्रमण की स्थिति पर काबू पाया जा सकेगा।

WHO के इमरजेंसी डायरेक्टर माइकल रेयान ने कहा कि दुनिया अभी हर्ड इम्युनिटी के स्तर पर पहुंचने के करीब नहीं है। इसलिए इस भरोसे में रहना बिल्कुल सही नहीं है कि वैक्सीन नहीं भी बनी तो हर्ड इम्युनिटी के दम पर कोरोना को हराया जा सकता है। संक्रमण को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को वैक्सीन लगाना ही समाधान है। यह भी जरूरी नहीं कि वैक्सीन हर व्यक्ति पर कारगर साबित हो।

4 पॉइंट : ऐसे समझें हर्ड इम्युनिटी का फंडा

  • हर्ड इम्युनिटी में हर्ड शब्द का मतलब झुंड से है और इम्युनिटी यानी बीमारियों से लड़ने की क्षमता। इस तरह हर्ड इम्युनिटी का मतलब हुआ कि एक पूरे झुंड या आबादी की बीमारियों से लड़ने की सामूहिक रोग प्रतिरोधकता पैदा हो जाना।
  • वैज्ञानिक सिद्धांत के मुताबिक, अगर कोई बीमारी किसी समूह के बड़े हिस्से में फैल जाती है तो इंसान की इम्युनिटी उस बीमारी से लड़ने में संक्रमित लोगों की मदद करती है। इस दौरान जो लोग बीमारी से लड़कर पूरी तरह ठीक हो जाते हैं, वो उस बीमारी से ‘इम्यून’ हो जाते हैं। यानी उनमें प्रतिरक्षा के गुण पैदा हो जाते हैं। इसके बाद झुंड के बीच मौजूद अन्य लोगों तक वायरस का पहुंचना बहुत मुश्किल होता है। एक सीमा के बाद इसका फैलाव रुक जाता है। इसे ही ‘हर्ड इम्यूनिटी’ कहा जा रहा है।
  • हर्ड इम्युनिटी महामारियों के इलाज का एक पुराना तरीका है। व्यवहारिक तौर पर इसमें बड़ी आबादी का नियमित वैक्सिनेशन होता है, जिससे लोगों के शरीर में प्रतिरक्षी एंटीबॉडीज बन जाती हैं। जैसा चेचक, खसरा और पोलियो के साथ हुआ। दुनियाभर में लोगों को इनकी वैक्सीन दी गई और ये रोग अब लगभग खत्म हो गए हैं।
  • वैज्ञानिकों का ही अनुमान है कि किसी देश की आबादी में कोविड-19 महामारी के खिलाफ हर्ड इम्युनिटी तभी विकसित हो सकती है, जब कोरोनावायरस उसकी करीब 60 प्रतिशत आबादी को संक्रमित कर चुका हो। वे मरीज अपने शरीर में उसके खिलाफ एंटीबॉडीज बनाकर और उससे लड़कर इम्यून हो गए हों।


Download Dainik Bhaskar App to read Latest Hindi News Today
Coronavirus India News Update; Health Experts On Herd Immunity In India


from Dainik Bhaskar https://ift.tt/32czwBk
via

No comments:

Post a Comment