Tuesday, August 25, 2020

भारत में रिकवरी रेट तीन वजहों से बढ़ा, भारतीयों की इम्युनिटी दूसरे देशों से मजबूत, बीसीजी टीका मददगार रहा और सही दवाओं से सुधार तेजी से हुआ

कोरोना से लड़ने में भारत का रिकवरी रेट दूसरे देशों से अधिक रहा है। देश में भले ही मामले बढ़ रहे हैं लेकिन डेथ रेट काफी कम है। इसकी क्या वजह हैं, इस पर लेडी हार्डिंग मेडिकल कॉलेज की डॉ. अपर्णा अग्रवाल कहती हैं, अभी कोई निश्चित शोध सामने नहीं आया है, लेकिन कई लोग अलग-अलग शोध हुए हैं। इनमें साबित हुआ है कि भारतीयों की इम्युनिटी अन्य देशों की तुलना में मजबूत मानी जा रही है। दूसरी बात यह कि भारत में बीसीजी वैक्सीनेसन होती है, जो लोगों से वायरस से लड़ने में मदद कर रही है। तीसरा सही समय पर सही दवाइयों का प्रयोग करने से मरीजों की स्थिति में सुधार देखा जा रहा है।

प्रसार भारती से बातचीत में उन्होंने बताया, ध्यान रखने वाली बात है कि अभी भारत में कोरोना पूरी तरह कंट्रोल नहीं हुआ है। इसलिए सभी को सतर्क रहना है। अब केस नई-नई जगहों पर बढ़ रहे हैं, मेट्रो शहरों में कर्व फ्लैट हो रहा है और केस पहले से कम आ रहे हैं।

बच्चों और बुजुर्गों को कोरोना से कैसे दूर रखें?

  • डॉ. अपर्णा कहती हैं, नई गाइडलाइन के मुताबिक, बच्चों को भी मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है। अभी तक माना जा रहा था कि बच्चों में वायरस लोड कम होता है, लेकिन अब उनमें भी वायरस लोड ज्यादा पाया जा रहा है। वायरस को लेकर जो नई जानकारी सामने आयी है, उसमें बच्चों को भी मास्क लगाना अनिवार्य कर दिया गया है।
  • 12 साल के उपर के बच्चों को मास्क पहनाना अनिवार्य है। 6-11 साल के बच्चों को भी मास्क पहनायें और निगरानी रखें, क्योंकि बच्चे चंचल, नटखट होते हैं। इसके ठीक से पहना है या नहीं, इसका ध्यान रखना है।
  • पांच साल से कम उम्र के बच्चे, जो मास्क नहीं पहनते हैं, उन्‍हें घर में सुरक्षित रखें। परिवार को इस बात का भी ध्यान रखना है कि जो बच्चे मास्क लगा रहे हैं वो उसे चबाने या मुंह से गीला न करने दें।
  • गाइडलाइन के मुताबिक, बुजुर्गों में 60 वर्ष की आयु तक के लोगों को कॉटन के कपड़े के मास्क पहनने के लिए कहा गया है। 60 वर्ष के उपर के लोग या जिन्हें कोई बीमारी है उन्हें सर्जिकल मास्क पहनने की सलाह दी गई है।
  • देश में पर्याप्त मात्रा में सर्जिकल मास्क उपलब्‍ध हैं, गीला होने पर बदल दें, हर दिन नए मास्क का प्रयोग करें।

काढ़ा कब पिएं और कब न पिएं?
डॉ. अपर्णा कहती हैं, आयुष मंत्रालय ने शरीर में इम्युनिटी बढ़ाने के लिये आयुर्वेद के सुझाव दिये हैं, जिसमें काढ़ा भी शामिल है। तमाम लोग ऐसे हैं जो नियमित रूप से काढ़ा पी रहे हैं, कुछ जरूरत से ज्यादा पी रहे हैं और कुछ ऐसे हैं, जिन्‍हें काढ़ा से परेशानी हो रही है। अगर आप स्वस्थ हैं और बचाव के सभी नियमों का पालन कर रहे हैं, तो काढ़ा नहीं भी पिएंगे तो चलेगा।

अगर किसी को काढ़ा पीने से कोई समस्या आ रही है तो इसलिये क्योंकि कई लोग दिन दो बार कि जगह कई बार काढ़ा का सेवन करने लगे हैं। वहीं कुछ लोग काढ़ा में पड़ने वाली चीजों को सही अनुपात में नहीं डाल कर रहे हैं। इसलिए काढ़ा बनाने के लिए हमेशा आयुष मंत्रालय द्वारा दिए गए दिशा-निर्देशों का पालन करें। इससे शरीर को कोई नुकसान नहीं पहुंचता।

असरदार काढ़ा कैसे बनाएं जो इम्युनिटी बढ़ाए?

इन दिनों लोग शरीर की इम्युनिटी बढ़ाने के लिए दवा या औषधियों की ओवरडोज ले रहे हैं, जिससे उन्हें दिक्कतें हो रही हैं। काढ़ा बनाते वक्त चीजों का अनुपात सही होना चाहिए। काढ़ा बनाने के लिए दालचीनी, सोंठ, तुलसी, मुनक्का, काली मिर्च का होना जरूरी है। सोंठ और काली मिर्च की तासीर गर्म होती है, इसलिये दोनों ले रहे हैं तो अगर एक भाग यानी 2-3 काली मिर्च हैं तो आधा चम्मच सोंठ लें। साथ में चार भाग तुलसी, मुनक्का लें और आधा भाग दालचीनी लें और सबका मिश्रण बना लें।

एक चम्मच मिश्रण पानी में डाल कर उबाल लें। यह एंटीवायरल होता, जो शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ाता है। अगर इसका सही भाग लेंगे तो नुकसान नहीं करेगा। काढ़ा में नींबू या गुड़ भी डाल सकते हैं।



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