विश्व स्वास्थ्य संगठन ( WHO) ने वैक्सीन के वैश्विक प्रोजेक्ट में शामिल होने के लिए सभी सदस्य देशों को पत्र लिखा है। संगठन का कहना है कि ये प्रोग्राम उन लोगों तक वैक्सीन पहुंचाने में कारगर होगा, जिन्हें इसकी ज्यादा जरूरत है। WHO ने ये चेतावनी भी दी है कि कोविड-19 के संक्रमण को रोकने के लिए लोगों में हर्ड इम्युनिटी बनने का इंतजार करना सही नहीं है।
कुछ चुनिंदा देश के लोगों को वैक्सीन लगाना समाधान नहीं
मंगलवार को दिए बयान में WHO के प्रमुख टेड्रोस अधेनॉम गेब्रेसियस ने कहा कि हर देश के उन 20% लोगों को पहले वैक्सीन लगाई जानी चाहिए, जो सबसे ज्यादा खतरे में हैं। इसके उलट यदि कुछ चुनिंदा देशों की सारी आबादी को भी अगर पहले वैक्सीन लगा दी जाती है, तो न अर्थव्यवस्था पटरी पर आ पाएगी, न ही संक्रमण की स्थिति पर काबू पाया जा सकेगा।
पहले फ्रंटलाइन वर्कर्स और बुजुर्गों को लगाई जाएगी वैक्सीन
WHO प्रमुख टैड्रोस ने कहा कि, जिन 20% लोगों को वैक्सीन पहले लगाए जाने पर जोर दिया जा रहा है। उनमें फ्रंटलाइन वर्कर्स और बुजुर्ग शामिल हैं। क्योंकि कोविड-19 से संक्रमित मरीजों के सबसे ज्यादा संपर्क में फ्रंटलाइन वर्कर्स ही रहते हैं। वहीं 65 वर्ष से अधिक उम्र के लोगों की जान को सबसे ज्यादा खतरा है।
वैक्सीन भी हर इंसान पर कारगर साबित नहीं होगी
WHO के इमरजेंसी डायरेक्टर माइकल रेयान ने कहा कि दुनिया अभी हर्ड इम्युनिटी के स्तर पर पहुंचने के करीब नहीं है। इसलिए इस भरोसे में रहना बिल्कुल सही नहीं है कि वैक्सीन नहीं भी बनी तो हर्ड इम्युनिटी के दम पर कोरोना को हराया जा सकता है। संक्रमण को रोकने के लिए बड़े पैमाने पर लोगों को वैक्सीन लगाना ही समाधान है। यह भी जरूरी नहीं कि वैक्सीन हर व्यक्ति पर कारगर साबित हो।
क्या है WHO का वैक्सीन प्रोग्राम ?
WHO ने वैश्विक स्तर पर वैक्सीन पहुंचाने के लिए कोवैक्स प्रोग्राम की शुरुआत की है। जिससे वैक्सीन की कीमत, उत्पादन और वितरण का निर्धारण ठीक से हो सके। अब तक इस प्रोग्राम में शामिल होने के लिए 80 देश हस्ताक्षर कर चुके हैं। हालांकि, संगठन को लगता है कि ये देश पूरी तरह प्रतिबद्ध नहीं हैं। WHO ने सभी सदस्य देशों को पत्र लिखकर कहा है कि 31 अगस्त तक प्रोग्राम में शामिल होने को लेकर अपनी प्रतिबद्धता के बारे में बताएं।
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