Wednesday, August 26, 2020

केंद्र सरकार के दावे के उलट इसरो के रिसर्चर्स ने कहा- एन-95 मास्क कोरोनावायरस के रोकने में असरदार; यह खांसी की रफ्तार को घटाता है

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के शोधकर्ताओं ने दावा किया है कि कोरोना को रोकने में एन-95 मास्क सबसे ज्यादा असरदार है। रिसर्चर्स ने रिसर्च में कहा, एन-95 मास्क खांसी की शुरुआती रफ्तार को 10 गुना तक कम कर सकता है। यह मास्क इसके इसके फैलाव को 0.1 से 0.25 मीटर तक सीमित करता है।

रिसर्चर्स ने हिदायत दी है कि जब आपके पास एक अच्छा मास्क उपलब्ध न हो तो बेहतर होगा, कोरोना के संक्रमण को घटाने के लिए कोई भी मास्क पहनें।

यह रिसर्च केंद्र सरकार की नई एडवाइजरी के बाद आई है, जिसने सभी को चौंका दिया था। हाल ही में सरकार ने कहा था कि एन-95 मास्क सुरक्षित नहीं है। यह वायरस को रोकने में सफल नहीं है। इसकी वजह इसमें लगे फिल्टर को बताया गया था।

एन- 95 मास्क दो तरह के होते हैं। एक वाॅल्व लगे मास्क और दूसरा बिना वाॅल्व वाले मास्क। केंद्र सरकार ने वाॅल्व लगे एन-95 मास्क को पहनने से रोका है। सभी एन-95 मास्क को नहीं। हां, यह जरूर कहा है कि हेल्थ वर्कर्स की जगह आम लोग एन-95 मास्क का गलत इस्तेमाल कर रहे हैं। इसे नहीं करना चाहिए।

बिना मास्क खांसी 3 मीटर की दूरी तक जा सकती है

इसरो से पद्मनाभ प्रसन्ना सिम्हा, और कर्नाटक में श्री जयदेव इंस्टीट्यूट ऑफ कार्डियोवस्कुलर साइंसेज एंड रिसर्च से प्रसन्ना सिम्हा मोहन राव ने अलग-अलग स्थितियों में खांसी के प्रवाह पर रिसर्च की है।

शोधकर्ताओं के मुताबिक, बिना मास्क के खांसी 3 मीटर तक फैल सकती है। आम डिस्पोजेबल मास्क भी इस दायरे को 0.5 मीटर तक सीमित रख सकता है। इसलिए मास्क पहनना बेहद जरूरी है, वरना खांसने या छींकने के दौरान निकले वाली बारीक बूंदों से कोरोना हवा में फैलेगा। ऐसा हुआ तो खतरा और बढ़ेगा।

भले ही मास्क सभी कण फिल्टर न करे, लेकिन ज्यादातर को रोकता है

जर्नल ऑफ फिजिक्स ऑफ फ्लुइड्स में पब्लिश रिसर्च के मुताबिक, एन 95 मास्क वायरस को फैलने से रोकने में सबसे असरदार पाए गए हैं। भले ही एक मास्क सभी कणों को फिल्टर नहीं करता, लेकिन इसकी मदद इसे दूर जाने से रोका जा सकता है।

बाजार में और कौन से मास्क

1- मेडिकल मास्क

  • इस तरह के मास्क कई तरह के होते हैं और एन-95 से कम असरदार होते हैं। इनमें से कुछ मास्क लैब कंडीशन के अंदर 60 से 80% छोटे कणों को रोक लेते हैं।
  • आमतौर पर मेडिकल मास्क सांस लेने लायक और पेपर जैसे सिंथेटिक फाइबर से बने होते हैं। यह रेक्टेंगल शेप में होते हैं और प्लेट्स बनी होती हैं। यह मास्क डिस्पोजेबल होते हैं और एक बार इस्तेमाल के लिए बने होते हैं।
  • यह मास्क आपको बड़ी बूंदों से बचाते हैं, लेकिन चेहरे पर ढीले होने के कारण यह एन-95 के मुकाबले कम असरदार होते हैं।

2- होम मेड मास्क

  • मेडिकल मास्क की कम सप्लाई के कारण कई लोगों ने घर में बने मास्क का उपयोग किया। अगर अच्छे फैब्रिक और बेहतर ढंग से इसका निर्माण किया गया है तो यह मेडिकल मास्क जैसी सुरक्षा देता है।
  • एक अच्छा होम मेड मास्क ऐसे मेटेरियल से तैयार किया जाता है जो वायरस पार्टिकल को रोकने में सक्षम होता है। यह कॉटन फैब्रिक से बने होते हैं।
  • ऐसे मास्क का निर्माण हैवी कॉटन टी-शर्ट से भी किया जा सकता है। ऐसा मेटेरियल जिसमें धागों की मात्रा ज्यादा होती है। यह मास्क बेहतर सुरक्षा देते हैं।
  • इंटरनेट पर कॉटन मास्क बनाने के कई तरीके मौजूद हैं। लेकिन, आप ऐसे मास्क की तलाश करें, जिसमें कम से कम दो लेयर हों और जो आपकी नाक और ठुड्डी को कवर करे।

3- होम मेड फिल्टर मास्क

  • यह एक अन्य तरह के कॉटन मास्क होते हैं, जो 100 फीसदी कॉटन टी-शर्ट से बने होते हैं। इन मास्क में पीछे एक जेब होती है, जो फिल्टर का काम करती है।
  • हमने इसमें एक कॉफी फिल्टर का इस्तेमाल किया है। पेपर टॉवेल भी टेस्ट किए जा चुके हैं। एक प्रयोग बताता है कि पेपर टॉवेल की दो लेयर 0.3 माइक्रॉन के 23 से 33% तक ब्लॉक करती हैं।
  • लोग इस दौरान कई फिल्टर मेटेरियल का उपयोग कर रहे हैं। इनमें एयर फिल्टर और वैक्यूम बैग्स शामिल हैं। यह असरदार हो सकते हैं, लेकिन इनमें जोखिम होते हैं।
  • कई बार यह सांस लेने लायक नहीं होते और कई बार नुकसान पहुंचाने वाले फाइबर होते हैं, जिन्हें आप सांस के साथ अंदर ले सकते हैं।
  • इसके साथ ही एक आम आदमी को इतने फिल्ट्रेशन की जरूरत नहीं होती है। आप जिस भी फिल्टर का उपयोग करें, यह पक्का कर लें कि इसकी साइड में कॉटन या इसके जैसे किसी मेटेरियल की कोई लेयर हो।


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ISRO | Indian Space Research Organisation (ISRO) Researchers On Coronavirus Face Mask Over Covid-19 Prevention


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