Saturday, August 22, 2020

कोरोना को रोकने के लिए सलाह, घर के अंदर नमी 40 से 60 फीसदी ही रखें; इससे सांस लेने पर नाक में वायरस पहुंचने का खतरा कम

भारत और जर्मनी के वैज्ञानिकों के एक दल ने कहा है कि कोरोना वायरस के प्रसार को रोकने के लिए सामाजिक दूरी और मास्क लगाने जैसे उपायों के साथ घर के भीतर नमी को कंट्रोल करना जरूरी है।

इनकी रिसर्च के अनुसार, 40 से 60% नमी (आर्द्रता) होने से वायरस का प्रसार कम होता है और सांस द्वारा नाक के माध्यम से भीतर जाने का खतरा भी कम होता है। वैज्ञानिकों ने कहा कि बोलते समय मुंह से निकली पांच माइक्रोमीटर व्यास वाली बूंदें हवा में नौ मिनट तक तैर सकती हैं।

भारत के सीएसआईआर नेशनल फिजिकल लेबोरेट्री के वैज्ञानिक अजीत अहलावत और जर्मनी की लीबनिज इंस्टीट्यूट फॉर ट्रोपोस्फेरिक रिसर्च के वैज्ञानिक अल्फ्रेड वीडलसोलर के नेतृत्व वाले विश्लेषकों ने यह अध्ययन किया है।

ट्रांसमिशन को कैसे प्रभावित करती है ह्यूमिडिटी

  • रिसर्च टीम की रिपोर्ट बताती है कि नमी वायरस के फैलने को तीन तरह से प्रभावित करती है- ड्रॉपलेट्स का आकार, वायरस से भरे हुए एयरोसोल का हवा में तैरना और सतहों पर वायरस का उतरना।
  • नमी वाली जगहों पर वायरल ड्रॉपलेट्स (नमक, पानी, ऑर्गेनिक्स और जुड़े हुए वायरस का सॉल्यूशन) बढ़ता है और तेजी से घटता है। ऐसे में दूसरे लोगों के सांस के साथ संक्रामक वायरल ड्रॉपलेट्स लेने की संभावना कम हो जाती है।
  • हालांकि, अंदर की सूखी हवा में इवेपोरेशन (वाष्पीकरण) के कारण छोटे हुए माइक्रो ड्रॉपलेट्स हल्के हो जाते हैं और भटकते रहते हैं। रिपोर्ट ने चेतावनी दी है कि यह सांस के जरिए वायरस के अंदर जाने या आखिर में सतह पर जम जाने का सबसे अच्छा रास्ता है। इसके बाद सतहों पर वायरस कई दिनों तक रह सकता है।

सर्दी बन सकती है लाखों लोगों के लिए खतरा

  • अल्फ्रेड ने चेतावनी दी है कि उत्तरी हेमिस्फीयर से आ रही ठंड का मतलब गर्म कमरों में बैठे लाखों लोगों के लिए जोखिम का बढ़ना है, क्योंकि बाहर की ठंडी हवा को आमतौर पर एसी सिस्टम के जरिए अंदर खींच लिया जाता है।
  • बाहर बह रही इस हवा को अंदर के आरामदायक तापमान पर गर्म करना अंदर की रिलेटिव ह्यूमिडिटी को कम कर देगा। पेपर्स के मुताबिक, इससे घर के अंदर रहने वाले लोगों के लिए बहुत ही खतरनाक हालात बन जाएंगे। खासतौर से कोविड 19 महामारी में।
  • सिंगापुर और मलेशिया की स्टडीज को बताते हुए उन्होंने ट्रॉपिकल रेसिडेंट्स (गर्म और नमी वाले इलाकों में रहने वाले लोग) को चेतावनी दी है कि ज्यादा ठंडक करने वाले सिस्टम्स से बचें, क्योंकि बाहर की सूखी हवा कोरोना का खतरा बढ़ाएगी।

आर्द्रता के मानक तय होना जरूरी

वैज्ञानिकों ने कहा कि महामारी को फैलने से रोकने के लिए यह बहुत जरूरी है कि अस्पताल, कार्यालय या सार्वजनिक वाहन के भीतर वायु में आर्द्रता के मानक तय किए जाएं क्योंकि ऐसी जगहों पर बहुत सारे लोग काम करते हैं। ‘एरोसोल एंड एयर क्वालिटी रिसर्च’ नामक शोध पत्रिका में प्रकाशित शोध पत्र में वैज्ञानिकों ने मुख्य रूप से सापेक्षिक आर्द्रता को अध्ययन का मुख्य आधार बनाया है।

शोधकर्ताओं के दल में वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) नई दिल्ली की राष्ट्रीय भौतिकी प्रयोगशाला (एनपीएल) के रिसर्चर भी शामिल हैं।

कोरोना के कुछ रोगियों में नहीं विकसित होती इम्युनिटी: रिसर्च

बोस्टन में हुए एक अन्रू अध्ययन के मुताबिक, कोरोना के गंभीर रोगियों में लम्बे समय तक इम्युनिटी विकसित नहीं हो पाती है। इसकी वजह यह है कि ऐसे व्यक्तियों के शरीर में वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता पैदा करने वाली कोशिकाओं का निर्माण कम होता है।



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latest coronavirus update Keeping humidity level around 40-60% in closed public spaces can curb spread of coronavirus


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